बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता और देशभक्ति फिल्मों के प्रतीक मनोज कुमार का शुक्रवार सुबह मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में 87 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। लंबे समय से बीमार चल रहे मनोज कुमार को 21 फरवरी 2025 को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार कल सुबह 11 बजे पवनहंस श्मशान घाट पर होगा।
‘भारत कुमार’ की विरासत
मनोज कुमार को ‘भारत कुमार’ के नाम से जाना जाता था। उनकी देशभक्ति पर आधारित फिल्मों उपकार, पूरब-पश्चिम, क्रांति, रोटी-कपड़ा और मकान ने उन्हें अमर बना दिया। उपकार के लिए उन्हें 1968 में बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट स्टोरी और बेस्ट डायलॉग के लिए चार फिल्मफेयर अवॉर्ड मिले।
प्रधानमंत्री मोदी की श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स (Twitter) पर श्रद्धांजलि देते हुए लिखा,
“मनोज जी भारतीय सिनेमा के प्रतीक थे, जिनकी फिल्में राष्ट्रीय गौरव और देशभक्ति से भरी होती थीं। उनका काम आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।”
देशभक्ति का सफर: लाल बहादुर शास्त्री से मिली प्रेरणा
1965 में फिल्म ‘शहीद’ में भगत सिंह का किरदार निभाने के बाद लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान, जय किसान’ नारे पर फिल्म बनाने की सलाह दी। मनोज कुमार ने ट्रेन के सफर में ही ‘उपकार’ की पूरी स्क्रिप्ट लिख डाली। इस फिल्म का गाना ‘मेरे देश की धरती सोना उगले’ आज भी देशभक्ति का प्रतीक है।
मनोज कुमार का असली नाम और संघर्ष
24 जुलाई 1937 को एबटाबाद (अब पाकिस्तान) में जन्मे मनोज कुमार का असली नाम हरिकृष्ण गोस्वामी था। भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय परिवार को दिल्ली के शरणार्थी कैंप में रहना पड़ा। दिल्ली में पढ़ाई के बाद उन्होंने मुंबई में संघर्ष किया और ‘फैशन’ (1957) से बॉलीवुड डेब्यू किया।
दिलीप कुमार से मिली ‘मनोज’ नाम की प्रेरणा
मनोज कुमार, दिलीप कुमार के बहुत बड़े फैन थे। फिल्म ‘शबनम’ (1949) में दिलीप कुमार का किरदार ‘मनोज’ था, जिसे देखकर उन्होंने अपना नाम हरिकृष्ण गोस्वामी से बदलकर मनोज कुमार रख लिया।
अवार्ड्स और सम्मान
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7 फिल्मफेयर अवॉर्ड्स
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1992 में पद्मश्री
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2016 में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड
‘क्रांति’ में दिलीप कुमार को किया डायरेक्ट
1981 में आई फिल्म ‘क्रांति’ में उन्होंने अपने आदर्श दिलीप कुमार को डायरेक्ट किया।
देशभक्ति का दूसरा नाम थे मनोज कुमार
उन्होंने न केवल अभिनय किया, बल्कि निर्देशन से भी देशभक्ति की नई लहर पैदा की। उनकी फिल्में आज भी देश के युवाओं को प्रेरित करती हैं।