नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) ने आज 8 अप्रैल को अपने 10 वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुबह 9 बजे योजना के लाभार्थियों से बातचीत की और उन्हें बधाई दी।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कहा, “मुद्रा योजना ने लोगों को सशक्त बनाकर कई सपनों को हकीकत में बदला है। यह दिखाता है कि भारत के लोगों के लिए कुछ भी असंभव नहीं है। हर मुद्रा ऋण अपने साथ सम्मान, स्वाभिमान और अवसर लेकर आता है।”
32 लाख करोड़ का ऋण, 52 करोड़ लाभार्थी
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की शुरुआत 2015 में हुई थी, जिसका उद्देश्य माइक्रो और छोटे व्यवसायों को बिना गारंटी ऋण देना है। बीते 10 वर्षों में योजना के तहत 52 करोड़ ऋण खाते खोले गए और कुल 32 लाख करोड़ रुपए का लोन वितरित किया गया है।
इस योजना में 68% लाभार्थी महिलाएं हैं, जबकि 50% लाभार्थी अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हर उद्यमी को ऋण मिले यह सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता है।
महिलाओं के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका
वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, मुद्रा योजना से महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों को बढ़ावा मिला है। 2016 से 2025 के बीच प्रति महिला औसत लोन राशि 13% की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़कर ₹62,679 हो गई है। वहीं, महिलाओं द्वारा जमा की गई राशि भी 14% की वृद्धि दर से ₹95,269 तक पहुंची है।
इस योजना ने महिलाओं की आर्थिक भागीदारी और रोजगार सृजन में भी अहम योगदान दिया है।
छोटे शहरों और गांवों में भी पहुंचा लाभ
मुद्रा योजना ने छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों तक कारोबार को बढ़ाया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2014 से हर साल औसतन 5.14 करोड़ नए रोजगार शुरू हुए हैं, जिनमें अकेले मुद्रा योजना से हर साल 2.52 करोड़ स्थायी रोजगार सृजित हुए हैं। जम्मू-कश्मीर में करीब 20 लाख मुद्रा लोन स्वीकृत किए गए हैं, जो देश में सबसे अधिक हैं।
सरकार की मंशा है कि योजना के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाए जाएं और उद्यमिता को हर वर्ग तक पहुंचाया जाए।