2008 के मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को 10 अप्रैल को एक स्पेशल फ्लाइट के ज़रिए अमेरिका से भारत लाया गया। यह प्रत्यर्पण “ऑपरेशन राणा” नामक टॉप-सीक्रेट मिशन के तहत हुआ, जिसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), रॉ (RAW), और अमेरिकी एजेंसियों के सहयोग से अंजाम दिया गया।
कैसे हुआ ऑपरेशन राणा?
1. फ्लाइट पर रियल-टाइम निगरानी
NIA और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने ऑपरेशन की जानकारी पाकिस्तान स्थित आतंकी गुटों तक न पहुंचे, इसका विशेष ध्यान रखा। एयर ट्रैफिक कंट्रोल यूनिट ने पूरे फ्लाइट रूट की रियल-टाइम मॉनिटरिंग की।
2. फ्लाइट में NIA अधिकारी ने थामा रहा हाथ
राणा को लाने के दौरान NIA का एक अधिकारी फ्लाइट में लगातार उसका हाथ पकड़े रहा, ताकि वह खुद को कोई नुकसान न पहुंचा सके। यह कदम सुरक्षा और आत्महत्या की संभावना को रोकने के लिए उठाया गया।
3. पालम एयरबेस पर मेडिकल, फिर सीधे मुख्यालय
9 अप्रैल को अमेरिकी गल्फस्ट्रीम G550 विमान से राणा को दिल्ली के पालम टेक्निकल एयरबेस लाया गया। लैंडिंग के बाद उसका मेडिकल चेकअप किया गया और फिर उसे सीधे NIA मुख्यालय ले जाया गया।
4. सुरक्षा इतनी सख्त कि मोबाइल भी जब्त
दिल्ली में राणा के आगमन से पहले सभी सुरक्षाकर्मियों और स्टाफ से मोबाइल फोन जमा करा लिए गए थे। मीडिया की नजरों से बचाने के लिए राणा को एयरपोर्ट के दूसरे गेट से बाहर निकाला गया और जेल वैन से कोर्ट लाया गया।
5. देर रात कोर्ट से मिला 18 दिन का रिमांड
राणा को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया, जहां बंद कमरे में सुनवाई हुई। स्पेशल NIA जज चंद्रजीत सिंह ने 10 अप्रैल की रात करीब 2 बजे फैसला सुनाते हुए राणा को 18 दिन की NIA कस्टडी में भेजा।
क्यों ज़रूरी है राणा से पूछताछ?
NIA के अनुसार, तहव्वुर राणा ने 26/11 हमले के मुख्य आरोपी डेविड कोलमैन हेडली की भारत यात्रा में मदद की थी। दोनों ने मिलकर हमले की योजना पर विस्तार से चर्चा की थी। जांच एजेंसी का कहना है कि राणा की भूमिका और लश्कर-ए-तैयबा से उसके रिश्तों की जांच जरूरी है ताकि हमले की साजिश के सभी पहलुओं का पर्दाफाश हो सके।
2008 मुंबई हमला: अब तक का सबसे भीषण आतंकी हमला
26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई में चार दिनों तक हमला किया। इसमें 166 आम नागरिकों समेत 175 लोग मारे गए, जबकि 300 से अधिक घायल हुए। इस हमले ने देश ही नहीं, पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था।
राणा का आपराधिक इतिहास
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2009: शिकागो से FBI ने तहव्वुर राणा को गिरफ्तार किया
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2013: अमेरिकी कोर्ट ने उसे डेनमार्क के अखबार पर हमले की साजिश और लश्कर से रिश्तों के चलते 14 साल की सजा सुनाई
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2024: भारत सरकार ने उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू की, जो अब पूरी हो चुकी है