Saturday, March 22, 2025

B.Ed. प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों का अनिश्चितकालीन धरना: “नौकरी खोने के बाद अब जाएं तो कहां?”

छत्तीसगढ़ के 2,897 बर्खास्त B.Ed. प्रशिक्षित सहायक शिक्षक एक बार फिर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं, और उनका गुस्सा अब चरम पर है। ये शिक्षक नवा रायपुर के तूता धरना स्थल पर बोरिया-बिस्तर लेकर धरने पर बैठे हैं और अपनी मांगों को लेकर जोरदार नारेबाजी कर रहे हैं।

पहले भी यह शिक्षक 45 दिनों तक आंदोलन कर चुके थे, लेकिन नगरीय निकाय चुनाव की आचार संहिता लागू होने के कारण उन्हें अपना धरना स्थगित करना पड़ा था। अब एक बार फिर ये शिक्षक धरने पर बैठे हैं, और उनकी मांग है कि सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी जल्द से जल्द निर्णय दे, क्योंकि अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। शिक्षक अपनी नियुक्ति और भविष्य को लेकर अनिश्चितता में हैं और अब यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उन्हें बाहर करने से पहले उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

शिक्षकों का गुस्सा: ‘हमें भर्ती करने वाली सरकार अब हमें बाहर कर रही है’

धरने पर बैठे एक शिक्षक ने कहा, “सरकार ने हमें भर्ती किया था, अब कोर्ट के फैसले की आड़ में हमें बाहर किया जा रहा है। हमारी क्या गलती है? अगर हाईपावर कमेटी बनाई गई थी, तो उसका फैसला जल्द क्यों नहीं आ रहा?”

एक अन्य शिक्षक ने कहा, “हमारे लिए अब जीवन जीना मुश्किल हो गया है। अगर हमारी नौकरी छीननी थी, तो हमें पहले क्यों नौकरी दी थी?”

आर-पार की लड़ाई का ऐलान: ‘जब तक मांगें पूरी नहीं होंगी, धरना जारी रहेगा’

शिक्षकों ने साफ कर दिया है कि वे अब आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं। उनका कहना है कि जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक उनका धरना जारी रहेगा। सरकार ने एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाई थी, लेकिन महीनों बाद भी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। अब शिक्षक इस बात पर भी नाराज हैं कि कमेटी समय पर निर्णय क्यों नहीं दे रही है।

उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि सरकार इस मुद्दे पर जल्द से जल्द फैसला करे, ताकि उनके भविष्य के बारे में कोई अनिश्चितता न रहे। गुरुवार को कई शिक्षकों ने विधानसभा जाने वाली सड़क पर तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया और नेताओं का ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश की।

B.Ed. प्रशिक्षित शिक्षकों के आंदोलन का इतिहास

  • 14 दिसंबर: अंबिकापुर से रायपुर तक पैदल यात्रा शुरू की थी, और 19 दिसंबर से यह यात्रा धरने में बदल गई। धरने के दौरान शिक्षकों ने अपनी पीड़ा सरकार तक पहुंचाने के लिए कई पत्र भी भेजे।

  • 22 दिसंबर: धरने पर बैठे शिक्षकों ने धरना स्थल पर ब्लड डोनेशन कैंप भी लगाया।

  • 26 दिसंबर: आंदोलन में शामिल शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर सामूहिक मुंडन कराया। पुरुषों और महिलाओं ने अपने बाल कटवाए और इसे अपने भविष्य के लिए न्याय की मांग के रूप में पेश किया।

  • 28 दिसंबर: मुंडन के बाद शिक्षकों ने यज्ञ और हवन आयोजित किया और कहा कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वे सांकेतिक सामूहिक जल समाधि लेंगे।

  • 29 दिसंबर: आदिवासी महिला शिक्षिकाओं ने वित्त मंत्री ओपी चौधरी से मुलाकात की कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। वे 2 घंटे तक मंत्री के बंगले के सामने डटे रहे।

  • 30 दिसंबर: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर लेकर जल सत्याग्रह किया, ताकि सरकार तक यह संदेश पहुंच सके कि उनकी नौकरी सुरक्षित की जाए और समायोजन किया जाए।

  • 1 जनवरी: सभी प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय का घेराव किया। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया।

  • 2 जनवरी: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने धरने को समर्थन दिया।

  • 3 जनवरी: सरकार ने एक उच्चस्तरीय प्रशासनिक कमेटी का गठन किया, जिसमें मुख्य सचिव के नेतृत्व में 5 अधिकारी शामिल थे।

  • 3 जनवरी: मांगों की अनदेखी पर नाराज शिक्षकों ने सामूहिक अनशन शुरू किया।

  • 6 जनवरी: राज्य निर्वाचन आयोग में जाकर मतदान बहिष्कार के लिए ज्ञापन सौंपा गया।

  • 7 जनवरी: शालेय शिक्षक संघ ने इस आंदोलन को समर्थन दिया।

  • 8 जनवरी: छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा ने आमसभा आयोजित की और रैली निकाली।

  • 10 जनवरी: शिक्षकों ने NCTE की शवयात्रा निकाली, विरोध जताया।

  • 12 जनवरी: माना से शदाणी दरबार तक दंडवत यात्रा की।

  • 17 जनवरी: पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज और पूर्व अध्यक्ष धनेंद्र साहू ने धरना स्थल पर जाकर आंदोलन को समर्थन दिया।

  • 18 जनवरी: मंत्री ओपी चौधरी के बंगले का घेराव किया गया।

  • 19 जनवरी: तेलीबांधा में चक्काजाम किया गया।

  • 20 जनवरी: चुनाव आचार संहिता के कारण आंदोलन को स्थगित करना पड़ा।

शिक्षक अब सरकार से त्वरित निर्णय की उम्मीद कर रहे हैं ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके और वे अपने संघर्ष का समापन शांति से कर सकें।

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