गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में 5 साल में 5 महिला कलेक्टरों का ऐतिहासिक रिकॉर्ड

छत्तीसगढ़ का 28वां जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही, जिसे अस्तित्व में आए 5 साल हो चुके हैं, ने एक अद्भुत रिकॉर्ड दर्ज किया है। 10 फरवरी 2020 को अस्तित्व में आने के बाद इस जिले में अब तक कुल 6 कलेक्टरों ने अपनी सेवाएं दी हैं, जिनमें से 5 कलेक्टर महिलाएं रही हैं। इन महिलाओं ने कलेक्टर जैसे महत्वपूर्ण पद पर अपनी कार्यकुशलता से यह साबित किया है कि वे न केवल प्रशासनिक दायित्व निभा सकती हैं, बल्कि जिले में विकास के नए आयाम भी जोड़ सकती हैं।

इन महिला कलेक्टरों की मेहनत और कार्यक्षमता के परिणामस्वरूप आदिवासी बहुल इस जिले में पिछले कुछ वर्षों में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिला है। इनके नेतृत्व में गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला पर्यटन के लिहाज से भारत के नक्शे पर एक नई पहचान बनाने में सफल रहा है। महिला कलेक्टरों के होने के कारण जिले की महिलाओं के मुद्दों पर फोकस किया गया और महिलाओं के लिए प्रशासन अधिक सुलभ और सुलझाने वाला बना।

महिला कलेक्टरों की कार्यकुशलता और प्रभाव

गौरेला पेंड्रा मरवाही के पहले महिला कलेक्टर शिखा राजपूत तिवारी (10 फरवरी 2020 से 26 मई 2020) रहीं, जिनका कार्यकाल कोरोना महामारी के दौर में रहा। उन्होंने महामारी के खिलाफ प्रभावी कदम उठाए और जिले में इसकी रोकथाम में अहम भूमिका निभाई।

दूसरी महिला कलेक्टर नम्रता गांधी (1 जनवरी 2021 से 14 जनवरी 2022) रहीं, जिन्होंने पेंड्रारोड SDM के रूप में भी सेवाएं दी थीं। कलेक्टर के रूप में उनका दरवाजा हमेशा लोगों के लिए खुला रहता था, और उन्होंने गरीब और वंचित वर्ग के लिए कई पहल की थीं। नम्रता गांधी वर्तमान में केंद्र सरकार की प्रतिनियुक्ति पर कार्य करने जा रही हैं।

तीसरी महिला कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी (17 जनवरी 2022 से 30 जनवरी 2023) रही। ये पहले भी पेंड्रारोड SDM के रूप में काम कर चुकी थीं। उनके कार्यकाल में जिले में प्रशासन की मजबूती और पर्यटन विकास की दिशा में कई कदम उठाए गए। ऋचा चौधरी के कड़क मिजाज और बेदाग छवि ने जिले में एक नई पहचान बनाई। वे अब केंद्र की प्रतिनियुक्ति पर जा रही हैं।

चौथी महिला कलेक्टर प्रियंका ऋषि महोबिया (30 जनवरी 2023 से 29 फरवरी 2024) रहीं। प्रियंका महोबिया के लिए यह जिला नया नहीं था, क्योंकि उन्होंने पहले पेंड्रारोड SDM के रूप में कार्य किया था। उनके समय में जिले के लोगों की समस्याओं का समाधान बड़े पैमाने पर हुआ और वे अपनी सौम्यता और उपलब्धता के लिए जानी जाती हैं।

वर्तमान में जिले की पांचवी महिला कलेक्टर कमलेश लीना मंडावी हैं, जो पिछले एक वर्ष से कलेक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं। बेमेतरा CEO पद के बाद पहली बार इस जिले की कलेक्टर बनीं लीना मंडावी आदिवासी इलाके में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए लगातार काम कर रही हैं। उन्होंने महिला समूहों के गठन पर जोर दिया है और 1700 से अधिक महिलाओं को लोन दिलाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया है।

इन सभी महिला कलेक्टरों ने अपने कार्यकाल में यह साबित किया है कि महिला नेतृत्व किसी भी क्षेत्र में प्रभावी और परिवर्तनकारी हो सकता है।

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