दंतेवाडा। छत्तीसगढ़ में मोतियाबिंद के गलत ऑपरेशन से 10 आदिवासी बुजुर्गों को दिखना बंद हो गया है। 22 अक्टबूर को दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में 20 लोगों का ऑपरेशन हुआ था। सर्जरी के बाद 10 बुजुर्गों को आंख में खुजली, दर्द और ना दिखने की शिकायत हुई।
आनन-फानन में दंतेवाड़ा के सरकारी डॉक्टर्स ने मरीजों को 24 अक्टूबर को रायपुर के अंबेडकर हॉस्पिटल रेफर कर दिया। इसके बाद रविवार को स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी अस्पताल पहुंचे और मरीजों का हाल-चाल जाना तब मामला गरमा गया।
वहीं अब सर्जरी करने वाली डॉ गीता नेताम, ममता वेदे स्टाफ नर्स और दीप्ति टोप्पो नेत्र सहायक अधिकारी को सस्पेंड किया गया है। इधर कांग्रेस ने भी इसे बड़ी लापरवाही बताते हुए अपनी जांच टीम गठित कर दी है। कांग्रेस ने इसे अंखफोड़वा कांड पार्ट 2 बताया है। दरअसल, 2011 में भी गलत इलाज से 40 से ज्यादा लोगों की रोशनी चली गई थी।
मंत्री जायसवाल ने डॉक्टर्स की टीम को निर्देश दिया कि सभी का सही से इलाज किया जाए। साथ ही वे विभाग के अफसरों पर भी भड़के। इधर अंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने बताया कि एक-दो दिन बाद ही मरीजों की आंखों की स्थिति का सही पता चल सकेगा। फिलहाल उन्हें नेत्र रोग विभाग में अलग वॉर्ड में रखा गया है। जूनियर डॉक्टरों की एक टीम उनकी निगरानी कर रही है।