रायपुर : प्रदेश के निकायों के घरों, दुकानों और अन्य संस्थानों से निकलने वाले कचरे से अब बिजली बनाने की तैयारी शुरू की जा रही है। फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के लिए प्रदेश के सात निकायों का चयन किया गया है, जिसमें रायपुर, दुर्ग, भिलाई, बिलासपुर, रतनपुर, बोदरी और मुंगेली को शामिल किए हैं। इन निकायों के लिए राज्य शासन के नगरीय प्रशासन विभाग ने केंद्र सरकार के शहरी आवासन मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है, जिसमें करीब 400 करोड़ रुपए की मांग की गई है। केंद्र सरकार से राशि स्वीकृत होते ही उक्त निकायों में वेस्ट टू इलेक्ट्रिसिटी प्लांट लगाकर बिजली उत्पादन शुरू किया जाएगा। इन निकायों में 10 मेगावाट का बिजली उत्पादन किया जाएगा।
सूखे कचरे की समस्या से हर व्यक्ति परेशान
सूखे कचरे की समस्या से प्रदेश के सभी 184 नगरीय निकायों में लोग भारी परेशान है। हालांकि अधिकांश नगरीय निकायों में घरों, दुकानों व अन्य संस्थानों से निकलने वाले सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के निपटान की प्रक्रिया की जा रही है। ज्यादातर निकायों में सॉलिड वेस्ट से खाद बनाई जा रही है। इसके लिए पीपीपी मोड पर काम किया जा रहा है। लेकिन सूखे कचरे की मात्रा अधिक होने के कारण पूरे कचरे कर निष्पादन नहीं हर दिन नहीं हो पा रहा है। इस कारण से खुली जगहों पर सूखे कचरे के ढेर लगे हुए हैं। ऐसे में इससे निपटने के लिए नगरीय प्रशासन विभाग ने अब सूखे कचरे से बिजली उत्पादन की ओर रुख का प्लान बनाया है।
हर दिन निकल रहा सैकड़ों टन कचरा
प्रदेशभर के निकायों में हर दिन सैकड़ों टन कचरा निकल रहा है। राजधानी रायपुर नगर निगम में हर दिन लगभग 650 मीट्रिक टन कचरा निकलता है। इसके अलावा भी कई जगहों से नियमित कचरा निगम द्वारा नहीं उठाया जाता है। इस तरह से रायपुर शहर में हर दिन औसतन 750 टन कचरा निकलता है। इसी तरह अन्य निकायों बिलासपुर, दुर्ग- भिलाई, धमतरी, जगदलपुर, कोरबा सहित अन्य की बात करें तो यहां भी हर दिन 400 से 500 टन कचरा निकलता है।
प्रदेश के उप मुख्यमंत्री एवं मंत्री नगरीय प्रशासन विभाग के अरुण साव ने कहा कि कुछ निकायों में वेस्ट टू इलेक्ट्रिसिटी प्लांट लगाने के लिए प्रस्ताव बनाकर राशि की मांग के लिए केंद्र सरकार को भेजा गया है। राशि स्वीकृत होते ही चिन्हित निकायों में प्लांट लगाने का काम किया जाएगा। इसके लिए कुछ निकायों में इंटीग्रेटेड सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट फैसिलिटी की स्थापनाकी जाएगी।