CM साय की अध्यक्षता में कैबिनेट मीटिंग में भारत माला प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार की जांच EOW को सौंपने का फैसला लिया गया है। CM साय ने कहा कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। भ्रष्टाचार का मुद्दा बुधवार को विधानसभा में खूब गरमाया था। नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने हाईकोर्ट जाने की चेतावनी दी थी।
इसके अलावा बैठक में छत्तीसगढ़ नक्सलवादी आत्मसमर्पण/पीड़ित राहत एवं पुनर्वास नीति-2025 को मंजूरी मिली है। इसमें सरेंडर करने वाले नक्सलियों को आर्थिक सहायता, पुनर्वास, शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा जैसी सुविधाएं दी जाएंगी।
विधानसभा में क्यों हुआ भारत माला प्रोजेक्ट पर हंगामा?
छत्तीसगढ़ में भारत माला परियोजना में भ्रष्टाचार को लेकर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। इस दौरान विभागीय मंत्री टंकराम वर्मा ने भ्रष्टाचार होने की बात स्वीकार की। उन्होंने हंगामे के बीच संभागीय आयुक्त से जांच कराने की घोषणा की, लेकिन विपक्ष CBI जांच की मांग पर अड़ा रहा।
CM विष्णुदेव साय ने नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत की मांग पर कहा कि कांग्रेस की सरकार ने तो CBI को बैन किया था। वहीं बीजेपी विधायक रिकेश सेन ने कहा कि कांग्रेस को अब केंद्रीय एजेंसियों पर भरोसा कैसे हो गया, जो लोग CBI को बैन करते हैं। ED पर सवाल उठाते हैं, वे अब खुद जांच की मांग कर रहे हैं।
मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा- भारत माला परियोजना में गड़बड़ी हुई।
विधानसभा में चर्चा के दौरान मंत्री टंकराम वर्मा का बयान
राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने स्वीकार किया कि भारत माला परियोजना में अनियमितताएं हुई हैं। उन्होंने कहा कि अधिसूचना जारी होने के बाद रकबे के टुकड़े कर दिए गए। पहले से अधिकृत भूमि का दोबारा भू-अर्जन किया गया।
नेता प्रतिपक्ष की CBI जांच की मांग
नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने सरकार के जवाब पर असंतोष जताया। उन्होंने कहा कि सिर्फ विभागीय जांच से दोषियों को बचने का मौका मिल जाएगा। यह एक बड़ा घोटाला है, जिसमें कई प्रभावशाली लोग शामिल हो सकते हैं। दोनों राजनीतिक दलों के लोग भी इसमें मिले हो सकते हैं।
महंत ने कहा कि सिर्फ निलंबन से कुछ नहीं होगा, बल्कि दोषी अधिकारियों पर FIR दर्ज कर उन्हें जेल भेजना चाहिए। निलंबन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिससे दोषी कुछ समय बाद फिर बहाल हो जाते हैं और उसी तरह से काम करते हैं।