प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद, पूर्ववर्ती भूपेश सरकार की कई योजनाओं को समाप्त कर दिया गया है। इनमें गौठान और गोबर खरीदी जैसी प्रमुख योजनाएं शामिल हैं, जो अब राज्य में लागू नहीं हैं।
इसके साथ ही, साय सरकार ने रमन सरकार की बंद की गई योजनाओं को फिर से पुनः शुरू कर दिया है। इनमें मीसा बंदियों को पेंशन देने वाली योजना भी शामिल है, जिसे भूपेश सरकार ने पांच साल पहले समाप्त कर दिया था। साय सरकार ने इसे फिर से लागू कर दिया है।
सत्ता परिवर्तन के बाद, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा की नीतियों में साफ अंतर दिखाई दे रहा है। जहां भूपेश सरकार ने गोबर खरीदी योजना को युवाओं के लिए रोजगार सृजन की अहम पहल बताया था, वहीं साय सरकार ने इसे अनुपयोगी मानकर बंद कर दिया है। इसी तरह, गौठान योजना, जिसे भूपेश सरकार गर्व से प्रचारित करती थी, अब ठप हो चुकी है, क्योंकि वहां न गायें हैं और न ही संचालन हो रहा है।
दूसरी ओर, भाजपा नेताओं को पेंशन देने की रमन सरकार की योजना, जिसे भूपेश सरकार ने राजनीति से प्रेरित कहकर बंद कर दिया था, अब फिर से शुरू की गई है। इसके साथ ही, साय सरकार ने भूपेश सरकार की छह योजनाओं के नाम भी बदल दिए हैं। उदाहरण के तौर पर, राजीव गांधी किसान न्याय योजना को अब कृषक उन्नति योजना के नाम से शुरू किया गया है। इसी तरह, राजीव गांधी स्वावलंबन योजना का नाम बदलकर दीनदयाल उपाध्याय स्वावलंबन योजना कर दिया गया है, और कई अन्य योजनाओं के नाम में भी बदलाव किया गया है।
इस बदलाव के साथ, सरकार ने यह साफ कर दिया है कि प्रदेश में अब नए दिशा-निर्देशों के तहत योजनाओं को संचालित किया जाएगा।