2008 के मुंबई आतंकी हमलों में शामिल आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को आज भारत लाया जा रहा है। जांच एजेंसी NIA और खुफिया एजेंसी RAW की एक जॉइंट टीम उसे लेने अमेरिका गई थी और अब वह स्पेशल फ्लाइट से भारत लाया जा रहा है। उम्मीद है कि वह देर रात तक भारत पहुंच जाएगा। भारत आने के बाद NIA उसे कुछ हफ्तों तक कस्टडी में रखेगी।
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की, रास्ता साफ
तहव्वुर राणा ने भारत प्रत्यर्पण से बचने के लिए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें खुद को पार्किंसन बीमारी से पीड़ित बताया गया था। उसने दावा किया था कि भारत लाए जाने पर उसे प्रताड़ित किया जा सकता है। कोर्ट ने सोमवार को यह याचिका खारिज कर दी, जिससे भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया।
NIA की चार्जशीट में दर्ज नाम, हेडली को दी थी मदद
राणा का नाम NIA की 405 पन्नों की चार्जशीट में शामिल है। जांच के अनुसार वह ISI और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है और उसने डेविड कोलमैन हेडली की मदद की थी। हेडली वही शख्स है जिसने हमले से पहले मुंबई में रेकी की थी।
राणा ने हेडली को “फर्स्ट वर्ल्ड” नाम से एक ऑफिस खोलने में मदद की थी, जो आतंकी गतिविधियों को छुपाने के लिए इस्तेमाल हुआ। हेडली ने इस इमिग्रेशन कंसल्टेंसी के जरिए भारत में घूम-घूमकर संभावित टारगेट्स की तलाश की थी—जैसे कि ताज होटल और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस।
ईमेल्स और दस्तावेजों से मिली पुष्टि
अमेरिकी सरकार ने कहा कि राणा ने हेडली को भारत का वीज़ा कैसे लेना है, इसकी सलाह दी थी। उसने एक कर्मचारी को फर्जी दस्तावेज तैयार करने का निर्देश भी दिया था। ये बातें ईमेल और अन्य दस्तावेजों से सिद्ध हुई हैं।
पहले कई बार हो चुकी है याचिका खारिज
राणा ने पहले सैन फ्रांसिस्को की अदालत में और फिर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। दोनों ही याचिकाएं खारिज कर दी गईं। कोर्ट ने साफ कहा कि भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि है, और राणा को सौंपा जा सकता है।
भारत ने प्रत्यर्पण के लिए किए पांच बड़े प्रयास
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2011 में NIA ने राणा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।
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दिसंबर 2019 में भारत ने पहली बार डिप्लोमैटिक चैनल से प्रत्यर्पण की मांग की।
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जून 2020 में अस्थायी गिरफ्तारी की मांग की गई।
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फरवरी 2021 में आधिकारिक प्रत्यर्पण अनुरोध भेजा गया।
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जून 2021 में भारत ने अमेरिकी अदालत में सबूत पेश किए।
हेडली का बचपन का दोस्त, आतंकी साजिश में साझेदार
पिछले साल अदालत में अमेरिकी वकीलों ने कहा कि राणा, डेविड हेडली का बचपन का दोस्त है और उसे हेडली की हर गतिविधि की जानकारी थी। वो जानता था कि हेडली किससे मिल रहा है, क्या प्लानिंग हो रही है और किन लोकेशंस पर हमला होना है। जांच एजेंसियों के अनुसार राणा ने इन आतंकी गतिविधियों के लिए आर्थिक मदद भी दी।
पाकिस्तानी आर्मी से कनाडा और अमेरिका तक का सफर
64 वर्षीय तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। उसने पाकिस्तान की सेना में डॉक्टर के तौर पर काम किया था। 1997 में वह कनाडा गया और फिर अमेरिका पहुंचा। अमेरिका में उसने फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेस नाम से कई जगहों पर कंसल्टेंसी फर्म खोली।
2009 में हुआ था शिकागो एयरपोर्ट से गिरफ्तार
FBI ने अक्टूबर 2009 में शिकागो के O’Hare एयरपोर्ट से राणा को गिरफ्तार किया था। आरोप था कि वह मुंबई और कोपेनहेगन में आतंकी हमलों की तैयारी में मदद कर रहा था। गवाही के बाद उसे 14 साल की जेल हुई थी।
कार्टून विवाद में भी नाम आया था
2011 में राणा को डेनमार्क के अखबार पर हमले की साजिश में भी दोषी ठहराया गया था। इस अखबार ने 2005 में पैगंबर मोहम्मद पर विवादित कार्टून छापे थे। इस साजिश से जुड़ी घटनाओं की कड़ी बाद में 2015 के पेरिस चार्ली हेब्दो हमले तक जाती है, जहां 12 लोगों की जान गई थी।