छत्तीसगढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने जिला अध्यक्षों का चुनाव पूरा कर लिया है और अब यह पार्टी के संगठन में नई ऊर्जा का संचार कर रहा है। 34 नेताओं को शहरी और ग्रामीण जिलों की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिनमें से आधे (17) ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) से हैं। इसके अलावा, 3 महिलाओं को भी जिलों की कमान दी गई है। अनुसूचित जाति (SC) से 4 और अनुसूचित जनजाति (ST) से 4 नेताओं को जिला अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि सामान्य वर्ग से 9 नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
आदिवासी बहुल क्षेत्रों जैसे बस्तर, जशपुर और सरगुजा में सामान्य वर्ग से नेताओं को जिला अध्यक्ष बनाया गया है। इस पूरी प्रक्रिया को लेकर बीजेपी का कहना है कि बूथ, मंडल और जिला स्तर की चुनाव प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। सभी नियुक्तियां केंद्रीय नेतृत्व की अनुमति से की गई हैं। 5 जनवरी को 15 जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के बाद 6 जनवरी को 19 जिलों के जिलाध्यक्षों की घोषणा की गई है।
नए नियुक्त जिलाध्यक्षों में प्रमुख नाम:
- रायपुर (शहर): रमेश ठाकुर
- रायपुर (ग्रामीण): श्याम नारंग
- कांकेर: महेश जैन
- भिलाई: पुरुषोत्तम देवांगन
- दुर्ग: सुरेंद्र कौशिक
- बीजापुर: घासीराम नाग
- गौरेला पेंड्रा मरवाही: लालजी यादव
- बालोद: चेमन देशमुख
- सूरजपुर: मुरलीधर सोनी
- मुंगेली: दीनानाथ केशरवानी
- रायगढ़: अरुणधर दीवान
- बलरामपुर: ओमप्रकाश जायसवाल
- जशपुर: भरत सिंह
- चौकी मोहला मानपुर: नम्रता सिंह
- कोरबा: मनोज शर्मा
… और अन्य।
अब प्रदेश अध्यक्ष की बारी
जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद अब पार्टी की नजर प्रदेश अध्यक्ष पर है। संगठन ने विधायकों और कुछ पूर्व जिला अध्यक्षों को जिम्मेदारी सौंपी है, ताकि सभी कार्यकर्ताओं का फीडबैक उपर तक पहुंचे। प्रदेश अध्यक्ष चुनाव की कार्रवाई की निगरानी बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े करेंगे। 10 से 15 जनवरी के बीच नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा हो सकती है।
ओबीसी प्रदेश अध्यक्ष की संभावना
2023 के विधानसभा चुनाव में ओबीसी नेता अरुण साव की अध्यक्षता में बीजेपी को एक राजनीतिक उभार मिला था। ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि अगला प्रदेश अध्यक्ष भी ओबीसी से हो सकता है। चर्चा में आए प्रमुख नामों में धरमलाल कौशिक और नारायण चंदेल शामिल हैं। पार्टी के भीतर सूत्रों का कहना है कि निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण का प्रभाव दिखा है, जिससे पार्टी ओबीसी चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है।
किरण देव की वापसी या अमर अग्रवाल की उम्मीद
एक और संभावना यह है कि किरण देव को फिर से प्रदेश अध्यक्ष बना दिया जाए। उन्हें सदस्यता अभियान और लोकसभा चुनावों में अच्छा काम करने के लिए सराहा गया है। हालांकि, पार्टी के एक धड़े का कहना है कि नए चेहरे की जरूरत हो सकती है। दूसरी ओर, अनुभवी नेता अमर अग्रवाल का नाम मंत्री मंडल में शामिल होने के लिए भी चर्चाओं में है। वे पहले आबकारी, स्वास्थ्य और वित्त जैसे अहम विभागों में काम कर चुके हैं, और सरकार में अनुभव की कमी को देखते हुए उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है।
बीजेपी की रणनीति छत्तीसगढ़ में जाति, लिंग और अनुभव के बीच संतुलन बनाने की दिखाई दे रही है, जिससे पार्टी आगामी विधानसभा चुनावों के लिए मजबूत स्थिति में आ सके। अगले कुछ सप्ताह महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि पार्टी अपने नेतृत्व के फैसले लेने जा रही है।