रायपुर नगर निगम, मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय और उपमुख्यमंत्री श्री अरूण साव के मार्गदर्शन में जलजनित रोगों की रोकथाम हेतु गंभीर कदम उठा रहा है। इन योजनाओं का उद्देश्य शहरवासियों को स्वच्छ, सुरक्षित और शुद्ध जल उपलब्ध कराना है, ताकि ग्रीष्म ऋतु में जलजनित बीमारियों की संभावना को कम किया जा सके।
रायपुर – छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व एवं उपमुख्यमंत्री, नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री श्री अरूण साव के मार्गदर्शन में रायपुर नगर पालिक निगम द्वारा समय-समय पर कई जनकल्याणकारी कार्यक्रमों एवं योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है। इन योजनाओं के माध्यम से शहर में जलजनित रोगों की रोकथाम के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
नगर निगम आयुक्त श्री विश्वदीप ने नगर निगम के सभी 10 जोनों के जोन कमिश्नरों को ग्रीष्म ऋतु में जलजनित रोगों की रोकथाम हेतु छत्तीसगढ़ शासन के नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालनालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य निर्देश और कदम:
जल टंकियों और सम्पवेल की सफाई:
आयुक्त ने निर्देशित किया कि शहर में स्थित उच्चस्तरीय जलागार और सम्पवेल की सिल्ट सफाई एवं डिसइंफेक्शन का कार्य 20 मार्च 2025 तक अनिवार्य रूप से किया जाए। सफाई के बाद, इसकी तिथि जल टंकियों और सम्पवेल पर अंकित की जाए।
डिसइन्फेक्शन प्रक्रिया:
जोन में स्थित हेण्ड पंप और पावर पंपों को सोडियम हाइपोक्लोराइड और ब्लीचिंग पाउडर के उपयोग से तीन चरणों में डिसइंफेक्शन करने के निर्देश दिए गए थे। जलजनित रोगों की संभावना को देखते हुए, पुनः तीन चरणों में डिसइंफेक्शन कर प्रयोगशाला से परीक्षण कराया जाएगा, ताकि जल की शुद्धता सुनिश्चित की जा सके।
जल सेम्पल का परीक्षण:
हर जोन को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया कि वे प्रतिदिन 10 से 15 जल सेम्पल एकत्रित कर फिल्टर प्लांट की प्रयोगशाला में भेजें। यदि किसी सेम्पल में संदिग्ध परिणाम मिले तो तत्काल डिसइंफेक्शन कर जल प्रदाय की शुद्धता सुनिश्चित की जाएगी।
पाइपलाइन का नियमित निरीक्षण:
जल वितरण पाइपलाइन के निरीक्षण की व्यवस्था की गई है, ताकि पाइपलाइन में किसी भी प्रकार की लीकेज या डैमेज होने पर त्वरित मरम्मत की जा सके। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जल प्रदाय मानक अनुरूप हो।
वाल्व चेम्बरों की सफाई और डिसइंफेक्शन:
जल वितरण पाइपलाइन के अंतर्गत आने वाले सभी वाल्व चेम्बरों का निरीक्षण कर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वाल्व चेम्बरों में जल भराव या गंदगी न हो। इन चेम्बरों की सफाई एवं डिसइंफेक्शन का कार्य भी किया जाएगा।
जल सेम्पल का प्रयोगशाला में परीक्षण:
फिल्टर प्लांट की प्रयोगशाला में जल सेम्पलों का परीक्षण सीपीएचईईओ के मापदंडों के अनुसार किया जाएगा, और राज्य स्तरीय प्रयोगशाला (एनएबीएल) से भी जल सेम्पल का परीक्षण कर जल की शुद्धता सुनिश्चित की जाएगी।
टैंकरों की संख्या और शिकायत निवारण:
आयुक्त ने यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि ग्रीष्म ऋतु में जल टैंकरों की संख्या न्यूनतम हो। साथ ही, जोन स्तर पर जल संबंधित शिकायतों का पंजी संधारण कर प्रभारी अधिकारी द्वारा नियमित निरीक्षण और समाधान किया जाएगा।