रायपुर के बूढ़ापारा में 25 से 30 घरों में सोना-चांदी गलाने और शुद्धिकरण का अवैध काम जारी है। इन कारखानों में नाइट्रिक और सल्फ्यूरिक एसिड का उपयोग किया जा रहा है, जिससे निकलने वाला जहरीला धुआं स्थानीय निवासियों की सेहत पर भारी पड़ रहा है।
धुएं से होने वाले खतरे
- फेफड़ों की क्षमता पर सीधा असर।
- सांस लेने में तकलीफ और नाक की सूंघने की शक्ति खत्म होना।
- छाती में पानी भरने और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां।
25,000 से ज्यादा की आबादी प्रभावित
कारखानों से निकलने वाले धुएं के कारण इलाके के बच्चों में खांसी, छाती में दर्द, और श्वसन संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं। डॉ. रविशंकर शुक्ला, एमडी मेडिसिन, ने बताया कि लंबे समय तक इस धुएं के संपर्क में रहने से श्वसन तंत्र को गंभीर नुकसान हो सकता है।
छिपाकर चल रहे हैं कारखाने
कारखानों को छत के किनारे से चिमनियां निकालकर छुपाया गया है, जिससे निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इनकी जानकारी न हो। 100-150 वर्गमीटर क्षेत्र में 25-30 कारखाने चल रहे हैं, जिनमें पश्चिम बंगाल से बुलाए गए मजदूर काम कर रहे हैं।
निगम और प्रदूषण बोर्ड बने अनजान
नगर निगम और पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इन अवैध कारखानों से पूरी तरह अनजान बने हुए हैं। किराए के मकानों में चल रहे इन कारखानों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही, जिससे क्षेत्र के लोग जानलेवा खतरे का सामना कर रहे हैं।
स्थानीय निवासियों की अपील
बूढ़ापारा के निवासियों ने प्रशासन से जल्द से जल्द इन कारखानों पर कार्रवाई की मांग की है। अगर समय रहते इसे नहीं रोका गया, तो यहां रहने वालों के लिए यह और घातक साबित हो सकता है।