रायपुर/दिल्ली: लोकसभा और नगरीय निकाय चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर दबाव बढ़ गया है। इस बीच, पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव का नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए सबसे प्रमुख रूप से सामने आया है। प्रदेश कांग्रेस के कई बड़े नेता इस पद के लिए आदिवासी नेता को चुने जाने की मांग कर रहे हैं, और इस मुद्दे पर दिल्ली तक लॉबिंग शुरू हो चुकी है।
सिंहदेव ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसी को जातीय या वर्गीय आधार पर पद नहीं मिलना चाहिए, बल्कि यह देखना जरूरी है कि कौन सबसे अच्छा नेतृत्व कर सकता है।
सूत्रों के अनुसार, प्रदेश कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता इस मुद्दे पर राष्ट्रीय नेतृत्व से चर्चा करने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व मंत्री अमरजीत भगत और शिव डहरिया भी दिल्ली में हैं। वहीं, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम, विधायक लखेश्वर बघेल, पूर्व विधायक संतराम नेताम और फूलीदेवी नेताम सक्रिय रूप से इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं।
कांग्रेस में यह बहस हो रही है कि प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए आदिवासी नेतृत्व को आगे लाया जाए या टीएस सिंहदेव को ही इस पद पर नियुक्त किया जाए। आदिवासी नेताओं का तर्क है कि चूंकि मुख्यमंत्री पद गैर-आदिवासी नेता (विष्णुदेव साय) के पास है, प्रदेश कांग्रेस की कमान आदिवासी नेता को दी जानी चाहिए।
कुछ वरिष्ठ नेताओं ने मानपुर-मोहला विधायक इंदर शाह मंडावी और अमरजीत भगत के नामों का भी प्रस्ताव रखा है, हालांकि भगत के खिलाफ चल रही जांच को देखते हुए उनकी उम्मीदवारी कमजोर मानी जा रही है। दूसरी ओर, ताम्रध्वज साहू का नाम भी चर्चा में है, लेकिन पार्टी के एक बड़े धड़े की प्राथमिकता अब भी टीएस सिंहदेव हैं।
सिंहदेव ने इस मामले में कहा कि अगर अमरजीत भगत प्रदेश अध्यक्ष बनने की इच्छा रखते हैं, तो उनके नाम पर भी विचार होना चाहिए, क्योंकि वे भी मंत्री मंडल के सदस्य रह चुके हैं।
प्रदेश अध्यक्ष के लिए संभावित बदलावों को लेकर कांग्रेस में राजनीतिक हलचल जारी है और इस पर बुधवार को और अधिक चर्चा हो सकती है।