रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने रविवार को ‘जय भीम पदयात्रा’ का शुभारंभ तेलीबांधा तालाब से किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, “भारत का संविधान हर नागरिक के लिए पवित्र ग्रंथ है, जो हमें गरिमापूर्ण जीवन का अधिकार देता है। हमारा लोकतंत्र इसी मजबूत नींव पर खड़ा है और बाबा साहब इसके शिल्पकार हैं।”
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. अंबेडकर के जीवन से जुड़े पांच प्रमुख स्थलों को ‘पंचतीर्थ’ के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है, जिससे आने वाली पीढ़ियाँ उनके विचारों से प्रेरणा ले सकें।
बाबा साहब के संघर्ष और शिक्षा को बताया प्रेरणास्त्रोत
मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश के मऊ में जन्मे बाबा साहब के संघर्ष और शिक्षा को याद करते हुए कहा कि कठिन परिस्थितियों में उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की और भारत को एक समावेशी तथा सशक्त संविधान दिया।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री टंकराम वर्मा, विधायक पुरंदर मिश्रा, खुशवंत साहेब, अनुज शर्मा, और मोतीलाल साहू सहित कई जनप्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
समाज में योगदान देने वाले युवाओं को किया गया सम्मानित
पदयात्रा के अंतिम पड़ाव अंबेडकर चौक में स्थित बाबा साहब की प्रतिमा पर मुख्यमंत्री ने माल्यार्पण किया और संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन किया। इसके बाद उन्होंने प्रिएम्बल वॉल पर अपने हस्ताक्षर किए।
मुख्य मंच से समाज में विशिष्ट योगदान देने वाले युवाओं को सम्मानित भी किया गया। यह पदयात्रा खेल विभाग और नेहरू युवा केंद्र संगठन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई थी।
कांग्रेस का आरोप: ‘जय भीम पदयात्रा’ भाजपा का राजनीतिक पाखंड
इस कार्यक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने भाजपा पर राजनीतिक पाखंड का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि “भाजपा और संघ का अंबेडकर जी के प्रति कोई आदरभाव नहीं है। इतिहास गवाह है कि इन्हीं के विचारधारा से जुड़े लोगों ने 1949 में बाबा साहब और संविधान की प्रतियां जलाईं।”
उन्होंने कहा कि यह पूरा आयोजन केवल एक राजनीतिक नौटंकी है, जिसका उद्देश्य वोट बैंक साधना है, न कि बाबा साहब के विचारों को ईमानदारी से अपनाना।