नानगुर स्वामी आत्मानंद विद्यालय की नौवीं कक्षा की छात्रा राखी नाग विलक्षण हैं। वह जन्म से दिव्यांग हैं, लेकिन उनकी पढ़ाई के प्रति ललक इतनी मजबूत है कि उन्होंने हाथों की बजाय पांव के पंजों से लिखना शुरू किया। वर्षों के अभ्यास के बाद, अब वह इतनी कुशल हो चुकी हैं कि उनकी लिखावट किसी सामान्य बच्चे की तरह होती है, जो हाथों से लिखता है।
राखी का परिवार छत्तीसगढ़ के कैकागढ़ पंचायत के बेंगलुरु गांव में रहता है। उसके पिता धनसिंह नाग एक निजी गैस एजेंसी के लिए साइकिल से गांव-गांव गैस सिलेंडर की डिलीवरी करते हैं, जबकि उसकी माता चैती घरेलू महिला हैं और घर का खर्च इमली, महुआ जैसे वनोपज संग्रहण से चलाती हैं।
राखी के माता-पिता ने हमेशा आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद उसकी पढ़ाई में कोई रुकावट नहीं आने दी और उसे हमेशा प्रोत्साहित किया। अब राखी का सपना आईएएस अधिकारी बनना है, ताकि वह अपने क्षेत्र के विकास में योगदान दे सके।
वह कहती हैं, “माता-पिता ने अपनी कठिनाइयों के बावजूद मुझे पढ़ाया है, और मैं उन्हें एक अच्छा जीवन देना चाहती हूं।”