छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 6 महीने की गर्भवती रेप पीड़िता को अबॉर्शन कराने की अनुमति देने का महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। जस्टिस बीडी गुरु की सिंगल बेंच ने कहा कि बलात्कार पीड़िता को गर्भपात करने की अनुमति दी जा सकती है, क्योंकि ऐसी गर्भावस्था महिला के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक पीड़ादायक होती है।
कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि रेप पीड़िता को मानसिक पीड़ा और क्षति से बचाने के लिए उसे बलात्कारी के बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। इस मामले में मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर जस्टिस गुरु ने रायगढ़ के मेडिकल जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पीड़िता को भर्ती करने के निर्देश दिए हैं, ताकि सुरक्षित तरीके से गर्भपात किया जा सके।
गुरुवार को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में नाबालिग रेप पीड़िता के अबॉर्शन के मामले की सुनवाई शुरू हुई। इस दौरान पीड़िता का मेडिकल रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया, जिसमें बताया गया कि उसकी गर्भावस्था 24 सप्ताह (6 महीने) की है, और भ्रूण स्वस्थ है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि पीड़िता का गर्भपात विशेष देखभाल और स्वास्थ्य सुविधा के साथ किया जा सकता है।
पीड़िता की ओर से अदालत में प्रस्तुत किए गए तर्क में उसके वकील ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि बलात्कार पीड़िता के जीवन और मानसिक स्वास्थ्य को बचाने के लिए गर्भावस्था को समाप्त किया जा सकता है, बशर्ते महिला के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा न हो।