नई दिल्ली 11 अप्रैेल 2022: दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह ने गुरुवार को कहा कि कट-ऑफ प्रणाली ने सभी छात्रों को समान अवसर उपलब्ध नहीं कराया, लेकिन सीयूईटी समान मानदंडों पर उनकी परख करेगा। उन्होंने कहा कि उन छात्रों के लिए नुकसानदेह नहीं होगा, जिन्होंने कड़ाई से अंक देने वाले परीक्षा बोर्ड से पढ़ाई की है। देश भर में 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए साझा विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (CUET) का रजिस्ट्रेशन बुधवार, 6 अप्रैल से शुरू हो गया है।
सिंह ने भाषा से साक्षात्कार में कहा, ‘‘सीयूईटी एक पारदर्शी, प्रवेश परीक्षा आधारित प्रणाली है और हर छात्र को समान अवसर दिया जाएगा। पूर्ववर्ती प्रणाली (कट-ऑफ) छात्रों को समान अवसर नहीं दे रही थी।’’ उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि पूर्ववर्ती प्रणाली ने उन छात्रों को अनुचित लाभ प्रदान किया, जिन्होंने उन बोर्ड से पढ़ाई की थी जो उदारतापूर्वक अंक देते हैं। सिंह ने कहा कि सभी छात्रों का आकलन समान मानदंडों पर किया जाना चाहिए।
छात्रों का आकलन समान मानदंडों पर होना चाहिए
योगेश सिंह ने कहा, ‘‘पहले का सिस्टम उन छात्रों के अनुकूल नहीं था जो अंक देने के मामले में कड़े या संयत बोर्ड से आते हैं। भारत जैसे देश में 30 से 40 राज्य परीक्षा बोर्ड हैं, प्रत्येक बोर्ड का अपना अनूठापन है और हम उसका सम्मान करते हैं। लेकिन छात्रों का आकलन समान मानदंडों पर होना चाहिए।’’ हालांकि, आलोचकों का कहना है कि सीयूईटी ‘‘कोचिंग संस्कृति’’ को बढ़ावा देगा और उन छात्रों के लिए नुकसानदेह होगा, जो केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के अलावा अन्य बोर्ड से आते हैं क्योंकि प्रवेश परीक्षा का पाठ्यक्रम एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के अनुरूप होगा।
छात्रों को समान अवसर उबलब्ध कराना उद्देश्य
कुलपति ने आगे कहा, ‘‘एक विश्वविद्यालय के तौर पर हमारा उद्देश्य यह है कि हमें समान अवसर उपलब्ध कराना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि छात्रों को कोचिंग कक्षाओं की जरूरत पड़ेगी क्योंकि प्रश्नपत्र उन छात्रों के लिए आसान होगा जिन्होंने 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम की पढ़ाई अच्छी तरह से की होगी। ’’राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) पाठ्यक्रम के बारे में उन्होंने कहा कि ज्यादातर छात्र 12वीं कक्षा में इसी पाठ्यक्रम की पढ़ाई करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘केवल वक्त ही बताएगा प्रवेश परीक्षा किस तरह सफल होगी। लेकिन एनसीईआरटी सही विकल्प है क्योंकि व्यापक स्तर पर इसका अध्ययन किया जाता है। ’’सिंह ने यह भी कहा, ‘‘सीयूईटी कराने का यह सही समय है।’’ उन्होंने इसे अगले साल से आयोजित कराने संबंधी कुछ प्रबुद्ध वर्गों के सुझाव पर यह कहा।’’
सीयूईटी विज्ञान के छात्रों के लिए होगा फायदेमंद
डीयू के कुलपति ने कहा, ‘‘सीयूईटी विज्ञान पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए फायदेमंद होगा क्योंकि वे मानविकी और वाणिज्य विषय रख सकेंगे। कट-ऑफ प्रणाली के तहत 2020 तक छात्रों को अपने मुख्य विषय बदलने पर अंकों में पांच प्रतिशत कटौती का सामना करना पड़ता था। ’’सिंह ने कहा, ‘‘यह कटौती इस आधार पर की जाती थी कि विज्ञान के छात्रों को मानविकी के छात्रों की तुलना में अधिक अंक मिलते हैं। लेकिन इस प्रणाली के तहत पर्सेंटाइल की गणना होगी। ’’
उन्होंने इसे विस्तार से बताया, ‘‘उदाहरण के तौर पर, यदि विज्ञान में उच्चतम अंक 60 हैं तो छात्र को 100 पर्सेंटाइल दिया जाएगा। यह इतिहास के छात्र के लिए भी समान होगा। यदि इतिहास का छात्र 50 अंक प्राप्त करता है और यह उच्चतम अंक है तो उसे 100 पर्सेंटाइल दिया जाएगा।’’ उन्होंने जोर देते हुए कहा, ‘‘इस तरह, यह प्रणाली अंतराल को पाटेगी।’’