16 जनवरी से जेल में बंद हैं पूर्व मंत्री, खुद को बताया निर्दोष
शराब घोटाले में फंसे छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक कवासी लखमा ने पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट के बाहर मीडिया से कहा,
“मैं गरीब आदमी हूं। बस्तर और जनता की आवाज विधानसभा में उठाता हूं। लेकिन सरकार मुझे परेशान कर रही है। मैं निर्दोष हूं।”
गौरतलब है कि लखमा 16 जनवरी 2025 से न्यायिक हिरासत में हैं।
शराब घोटाले में ED का दावा – ‘सिंडिकेट के मुख्य सूत्रधार थे लखमा’
हर महीने 2 करोड़ की कमाई, बेटे के घर और कांग्रेस भवन में हुई खर्च
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दावा किया है कि 2161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में कवासी लखमा की केंद्रीय भूमिका थी। ED के वकील सौरभ पांडेय के मुताबिक:
लखमा को हर महीने 2 करोड़ रुपये की रिश्वत मिलती थी, जो तीन साल में कुल 72 करोड़ रुपये हुई।
यह राशि उनके बेटे हरीश कवासी के घर और सुकमा में कांग्रेस भवन के निर्माण में उपयोग की गई।
लखमा के निर्देश पर पूरा शराब सिंडिकेट काम करता था और उन्होंने जानबूझकर गड़बड़ियों को नजरअंदाज किया।
पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के 14 ठिकानों पर भी ED की छापेमारी
शराब घोटाले की जांच के सिलसिले में 10 मार्च को ED ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके करीबियों के 14 ठिकानों पर छापा मारा। यह कार्रवाई सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक चली और करीब 20 अफसरों की टीम ने CRPF के साथ मिलकर पदुम नगर स्थित बघेल के निवास पर जांच की।
ED का आरोप: शराब नीति में बदलाव के पीछे लखमा का हाथ
ED ने कहा कि लखमा की भूमिका FL-10A लाइसेंस की शुरुआत में भी थी, जिससे शराब व्यवसाय में सिंडिकेट को सीधा फायदा हुआ। उन्होंने शराब नीति को इस तरह बदला कि मुनाफा सीधे सिंडिकेट की जेब में गया।
ED ने खोली अवैध कमाई की तीन परतें
शराब घोटाले में ED ने अवैध कमाई की तीन प्रमुख रणनीतियाँ उजागर की हैं:
पार्ट-A: डिस्टिलर्स से कमीशन
राज्य की खरीद एजेंसी CSMCL द्वारा खरीदी गई शराब के हर केस पर डिस्टिलर्स से रिश्वत ली जाती थी।
पार्ट-B: कच्ची शराब की बेहिसाब बिक्री
बिना रजिस्टर में दर्ज किए बड़ी मात्रा में देसी शराब बेची गई, जिससे सरकारी खजाने को एक भी पैसा नहीं मिला। यह शराब सरकारी दुकानों से ही बेची जाती थी।
पार्ट-C: विदेशी शराब पर FL-10A लाइसेंस का खेल
विदेशी शराब में हिस्सा दिलाने के लिए FL-10A लाइसेंसधारकों से मोटा कमीशन वसूला गया, जिससे बाजार में सिंडिकेट की पकड़ बनी रही।
2161 करोड़ का घोटाला, 2100 करोड़ की अवैध कमाई का दावा
ED के अनुसार, 2019 से 2022 के बीच यह घोटाला चला और इसमें कुल 2161 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ। इसमें से 2100 करोड़ रुपये की अवैध कमाई सीधे सिंडिकेट के पास गई।