नगर निगम चुनाव में भाजपा की मजबूती, कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ी , नतीजे 15 फरवरी को घोषित होंगे

विधानसभा, लोकसभा और अब नगर निगम के चुनाव, इन सभी की कड़ी के बाद आखिरकार नतीजे सामने आ चुके हैं। महाकुंभ हिन्दुत्व में आस्था के सैलाब के साथ दिल्ली चुनाव के परिणामों ने भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के अंदर जो जोश भरा, उसका असर छत्तीसगढ़ के नगर निगम चुनावों में भी साफ दिख रहा है।
शाम 5 बजे वोटिंग समाप्त होने के बाद अब चर्चा इस बात की है कि कौन-कौन महापौर बन रहा है। अगर अनुमान सही साबित होते हैं, तो भाजपा 10 में 10 सीटों पर कब्जा कर सकती है। वहीं, कांग्रेस को महापौर की एक भी सीट मिलना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, चिरमिरी में कांटे की टक्कर बताई जा रही है। सरगुजा और बस्तर में कांग्रेस को झटका लगने के बाद पार्टी उबर नहीं पाई है।
असल में, विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस का जो समीकरण गड़बड़ाया, वो फिर से सुधर नहीं सका। सरगुजा और बस्तर ने कांग्रेस को जो नुकसान पहुंचाया, उससे पार्टी उबरने में विफल रही है। यह सही है कि निगम चुनाव के मुद्दे विधानसभा या लोकसभा से अलग होते हैं, लेकिन आम जनता शायद यह समझ चुकी है कि प्रदेश की सरकार के साथ निगम में महापौर का चुनाव भी भाजपा के पक्ष में हो सकता है, जिससे विकास कार्यों में आसानी होगी।
निगम चुनाव में यह फैक्टर आम लोगों के बीच सुनाई देने लगा है। हालांकि, कांग्रेस ने सालभर भाजपा को मौका दिया। साय सरकार बनने के तुरंत बाद शराब लॉबी सक्रिय हो गई थी, और ट्रांसफर-पोस्टिंग के मामलों में कांग्रेस ने भी अपनी राजनीति खेली।
इसके बाद बेमेतरा कांड, बलौदाबाजार कांड, सरगुजा क्षेत्र में पुलिस परिवार की हत्या और लॉ एंड ऑर्डर की लगातार समस्याएं कांग्रेस के लिए मुद्दा बनीं, लेकिन इन मुद्दों पर कांग्रेस का प्रदर्शन धीरे-धीरे शांत हो गया। चुनाव के समय यह सब कुछ दबा हुआ था।
अब भाजपा ने अपनी छवि को बेहतर किया है, और प्रशासन में किए गए बदलावों, दिल्ली से आए अफसरों को उच्च पदों पर बैठाने, और उनके कामकाज ने भाजपा के पक्ष में माहौल बना दिया है। इसके परिणामस्वरूप, भाजपा के पक्ष में राजनीतिक परसेप्शन बन चुका है, जो अब वोट में बदलता हुआ नजर आ रहा है।
नतीजा: निगम चुनाव में भाजपा का दबदबा साफ दिखाई दे रहा है, जबकि कांग्रेस की उम्मीदें चिरमिरी जैसे कुछ स्थानों पर ही सिमटी हुई हैं।