आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने एससी/एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में 21 अगस्त को देशव्यापी विरोध (भारत बंद) का आह्वान किया है। राजस्थान में एससी/एसटी समूहों ने कहा कि उन्होंने बंद को समर्थन दिया है।
किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए सभी जिलों में पुलिस की तैनाती बढ़ाने को कहा गया है। पुलिस ने कहा कि भारत बंद के सिलसिले में कानून-व्यवस्था की स्थिति सुनिश्चित करने के लिए एसपी को निर्देश दिए गए हैं।
ये घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को राज्यों को अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के भीतर उप-श्रेणियां बनाने की अनुमति दे दी है, तथा कहा है कि जिन लोगों को वास्तव में इसकी आवश्यकता है, उन्हें आरक्षण में प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
कोर्ट के फैसले के विरोध में और अदालती आदेश को पलटने की मांग को लेकर भारत बंद का आह्वान किया गया है।
इस संबंध में वरिष्ठ नागरिक और पुलिस अधिकारियों ने बंद की तैयारियों का आकलन करने के लिए एक बैठक की है, ताकि किसी भी तरह की हिंसा से बचा जा सके। बैठक में संभागीय आयुक्तों, जिला मजिस्ट्रेटों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने हिस्सा लिया और उन्हें बंद के लिए तैयार रहने को कहा गया।
भारत बंद का आह्वान किसने किया?
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने एससी/एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में बुधवार को भारत बंद का आह्वान किया है।
भारत बंद क्यों?
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में राज्यों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समूहों के भीतर उप-श्रेणियां बनाने की अनुमति देते हुए कहा था, “जिन्हें वास्तव में इसकी आवश्यकता है, उन्हें आरक्षण में प्राथमिकता मिलनी चाहिए।“
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर व्यापक बहस छिड़ गई है और रिपोर्ट्स का दावा है कि भारत बंद का मुख्य उद्देश्य आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देना और इसे पलटने की मांग करना है। विरोध प्रदर्शन का पूरा उद्देश्य शीर्ष अदालत के अन्यायपूर्ण फैसले को उजागर करना है।