2008 मुंबई आतंकी हमलों का दोषी तहव्वुर राणा को लेकर अमेरिका से आ रहा विशेष विमान दिल्ली पहुंच गया है। यह विमान दिल्ली के पालम टेक्निकल एयरपोर्ट पर लैंड हुआ, जहां से तहव्वुर को सीधे NIA हेडक्वार्टर ले जाया गया। यहां सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक, तहव्वुर राणा को दिल्ली की तिहाड़ जेल के हाई सिक्योरिटी वार्ड में रखा जाएगा। हालांकि, किस वार्ड में और कब तक रखा जाएगा, इसका अंतिम फैसला कोर्ट के आदेश पर होगा। बुधवार को NIA और RAW की जॉइंट टीम राणा को अमेरिका से लेकर रवाना हुई थी।
उसे पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया जाएगा, उससे पहले उसका मेडिकल टेस्ट किया जाएगा। दिल्ली पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा गया है, और एयरपोर्ट से लेकर कोर्ट तक कड़ी सुरक्षा तैनात की गई है। SWAT कमांडोज, CAPF और लोकल पुलिस मौके पर मौजूद है।
केंद्र सरकार ने इस केस के लिए एडवोकेट नरेंद्र मान को स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर नियुक्त किया है। उन्हें यह जिम्मेदारी तीन साल तक या केस खत्म होने तक सौंपी गई है।
राणा ने भारत आने से बचने के लिए अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसमें उसने खुद को पार्किंसन से पीड़ित बताते हुए भारत में प्रताड़ना का खतरा बताया था। यह याचिका खारिज कर दी गई थी।
राणा को 2009 में अमेरिका में FBI ने गिरफ्तार किया था। उस पर लश्कर-ए-तैयबा का समर्थन करने, हेडली की मदद करने और आतंकी साजिशों में भूमिका निभाने के आरोप थे। वह अब तक लॉस एंजिल्स के एक डिटेंशन सेंटर में बंद था।
2008 के मुंबई हमले में 175 लोगों की जान गई थी और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस हमले की साजिश में राणा ने हेडली को मुंबई में “फर्स्ट वर्ल्ड” नाम से ऑफिस खोलने में मदद की थी, जिससे वह हमले की रेकी कर सके।
अमेरिकी कोर्ट के दस्तावेजों और हेडली की गवाही के अनुसार, राणा ने हेडली को फर्जी दस्तावेज, वीजा संबंधी सलाह और अन्य जरूरी मदद दी थी। इसी आधार पर अमेरिका ने उसका भारत प्रत्यर्पण मंज़ूर किया।
भारत ने राणा के प्रत्यर्पण के लिए 2011 से प्रयास शुरू किए थे:
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NIA ने 2011 में चार्जशीट दाखिल की,
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2019 में पहली बार डिप्लोमैटिक चैनल से प्रत्यर्पण मांगा,
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2020 में अस्थायी गिरफ्तारी की मांग,
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2021 में आधिकारिक प्रत्यर्पण अनुरोध,
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जून 2021 में अमेरिकी अदालत में सबूत पेश किए।
राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है और पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर रह चुका है। बाद में वह कनाडा और फिर अमेरिका जाकर इमिग्रेशन कंसल्टेंसी का काम करता रहा। FBI ने उसे शिकागो से 2009 में गिरफ्तार किया था।
उस पर कोपेनहेगन के एक डेनिश अखबार पर हमले की साजिश का भी आरोप था। इसी अखबार ने 2005 में पैगंबर मोहम्मद पर विवादित कार्टून छापे थे। बाद में यही कार्टून फ्रेंच मैगजीन “चार्ली हेब्दो” ने छापे, जिस पर 2015 में हमला हुआ था।