छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनावों के तुरंत बाद कांग्रेस पार्टी ने अपने निष्कासित नेताओं की घर वापसी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस कड़ी में कांग्रेस ने 18 बागी नेताओं का निष्कासन रद्द कर उन्हें फिर से पार्टी में शामिल करने का निर्णय लिया है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी किया, जिसे प्रदेश प्रभारी महामंत्री मलकीत सिंह गैदू ने मंजूरी दी। कुछ दिनों पहले, पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा ने अजीत कुकरेजा की वापसी का विरोध किया था, क्योंकि कुकरेजा ने नगरीय निकाय चुनावों में कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी कुलदीप जुनेजा के खिलाफ बगावत करते हुए निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था, जिसके कारण कांग्रेस उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा था।
वापसी करने वाले नेता
- अजीत कुकरेजा (रायपुर)
- शानू दुबे
- दिवाकर साहू
- जसबीर गुब्बर (बिलासपुर)
- विश्वजीत बोहरा (महासमुंद)
- काजल नाग (कांकेर)
- ब्रम्हदत्त मांडवी
- मनोज मालवीय (दंतेवाड़ा)
- नरेंद्र (टंडन) सुरीन
- जुगल साहू (बालोद)
- हिदायत अंसारी
- मूलकिशोर साहू
- तुलसी साहू
- सोहन साहू
- खालिद मिर्जा
- संजय निषाद
- प्रतापदेव साहू
- रितेश साहू
अजीत कुकरेजा की वापसी पर विवाद
कांग्रेस के इस फैसले के बाद रायपुर उत्तर सीट से पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी रहे कुलदीप जुनेजा ने कुकरेजा की वापसी पर विरोध जताया है। जुनेजा ने आरोप लगाया कि कुकरेजा की पार्टी में वापसी के लिए पैसों का लेन-देन हुआ है। उन्होंने इस संबंध में प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी हाईकमान को लिखित शिकायत भी भेजी है।
क्या कांग्रेस में असंतोष बढ़ेगा?
इस फैसले से पार्टी में असंतोष बढ़ सकता है, क्योंकि कुछ नेताओं ने इसकी विरोध किया है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी में पुराने और वफादार नेताओं के बीच नाराजगी बढ़ सकती है, जिससे संगठन की नीति और अनुशासन प्रभावित हो सकते हैं।
यह आदेश कांग्रेस के शीर्ष नेताओं, जैसे छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव और अन्य वरिष्ठ नेताओं को भेजी गई है।
अब देखना यह होगा कि कांग्रेस के अंदरूनी समीकरणों और नए राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में इन बागी नेताओं की वापसी से पार्टी की रणनीति और नेतृत्व पर क्या असर पड़ेगा।