13.8 करोड़ के मोबाइल कबाड़ में: मध्य प्रदेश में जो सिम 160 रुपए में खरीदी गई, वहीं छत्तीसगढ़ में उन्हें 252 रुपए तक में खरीदा गया

छत्तीसगढ़ के महिला एवं बाल विकास विभाग में एक बड़ी गड़बड़ी सामने आई है, जहां अफसरों ने नियमों की अनदेखी करते हुए अमानक खरीदी की। 2018-19 में पोषण आहार की मॉनिटरिंग के लिए खरीदी गए 18536 मोबाइल आज कबाड़ में तब्दील हो गए हैं। यह गड़बड़ी तत्कालीन जॉइंट डायरेक्टर प्रतीक खरे और प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर साजिद मेमन की लापरवाही के कारण हुई।

सिर्फ 6.36 करोड़ के फंड से यह खरीदारी की जानी थी, लेकिन अफसरों ने 13.81 करोड़ रुपये की खरीदी कर दी। जॉइंट डायरेक्टर प्रतीक खरे ने नोटशीट में राशि उपलब्ध होने की गलत जानकारी दी, जिससे यह गड़बड़ी हुई। मोबाइल सप्लाई करने वाली कंपनी ने गुणवत्ता की जांच में विफल रहने के बावजूद मोबाइल की सप्लाई की, जिसके बाद इनका वितरण नहीं हो सका और वे अब कबाड़ बन चुके हैं।

विभाग ने इस मामले की जांच की, लेकिन दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। पांच साल बाद भी यह मामला अनसुलझा है और विभाग अब तक यह तय नहीं कर सका कि इस गड़बड़ी के लिए कौन जिम्मेदार है।

मोबाइल सप्लाई कंपनी ने इस मामले में पेमेंट के लिए हाई कोर्ट में अपील की, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। 18536 मोबाइलों की गुणवत्ता को लेकर उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया गया था, लेकिन इसके बावजूद मामला हल नहीं हो पाया है।

दूसरी ओर, छत्तीसगढ़ में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए खरीदी गई सिम में भी गड़बड़ी सामने आई। छत्तीसगढ़ ने मध्य प्रदेश से महंगे दामों पर सिम खरीदी, जिसके कारण 3 करोड़ रुपये अधिक चुकाए गए।

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