रायपुर : आज राजधानी के अटल बिहारी बाजपेई ऑडिटोरियम मेडिकल कॉलेज परिसर में “कोई अपना सा हो” काश फाउंडेशन संस्था के द्वारा अनुवांशिक बीमारी सिकलसेल और थैलेसीमिया पीड़ित बच्चो की स्क्रीनिंग,HLA जांच और परामर्श की वृहद जागरूपता कार्यशाला सम्पन्न हुई।
इस कार्यशाला में प्रदेश भर के सुदूर अंचलों से आए करीब 300 परिवारों को परामर्श एवं 250 बच्चों का टीम डीकेएमएस द्वारा निशुल्क HLA टेस्ट किया गया, इस अनुवांशिक बीमारी की रोकथाम व इसे पूरे भारत से मुक्त करने के लिए लड़के एवम लड़की की विवाह पूर्व HPLC जांच कराने हेतु परामर्श दिया गया,यदि दोनो वाहक है तो आने वाला बच्चा सिकलसेल थैलेसीमिया मेजर पैदा हो सकता है जिसे जीवन भर रक्त चढ़ाना पड़ता है।
इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. सुनील भट्ट ने अपने उद्बोधन में कहा गया कि निश्चित ही यह संकल्प हम लोग लेंगे की आने वाले समय में हम देश को सिकलिन एवं थैलेसीमिया से मुक्त करे और इस बीमारी के लिए हम जिस प्रकार से लगातार नए-नए प्रयोग कर इसकी निदान हेतु हम लगातार प्रयासरत हैं निश्चित ही एक दिन हमारा संकल्प पूरा होगा और हम संपूर्ण जगत से यह रोग को मुक्त करेंगे।
इस कार्यशाला में काश फाउंडेशन की संस्थापक काजल सचदेव ने कहा मैं विगत 15 वर्षों से सिकलिन एवं थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों की सेवा कर रही हूं।
मैं इस दर्द से गुजर रही हूं क्योंकि मेरे बच्चे को भी यह अनुवांशिक बीमारी है मैं और मेरा परिवार इस दर्द को झेल चुका है मैं इसी परेशानी को समझते हुए आज काश फाउंडेशन के माध्यम से मैं प्रदेश भर के सुदूर अंचलों में जा जाकर सिकलिन एवं थैलेसीमिया की जांच एवं कैंप लगाकर चिन्हित करके उन्हें लगातार बेहतर सेवाएं देने का काम कर रहे हैं ताकि उन परिवारों को मदद मिल सके जिन्हें उचित समय में उचित मार्गदर्शन नहीं मिल पाता ,जिसके कारण उनके बच्चों की तबीयत बिगड़ने रहती सही समय पर रक्त न मिलने से पेट की तिल्ली बढ़ जाती है और बच्चो की असमय मृत्यु हो जाती है ,एक ही घर में 2,2 सिकलसेल बच्चे पैदा हो जाते है मांबाप वाहक होने पर गर्भवती का cvs जांच कराना जरूरी है
आज यहां पर सभी काश फाउंडेशन से जुड़कर प्रदेश के साथ-साथ अन्य प्रदेशों से आए भारी संख्या में पीड़ित परिवार एवं बच्चे शामिल हुए हैं इन सब के हौसलों ने मुझे एक नई उड़ान दी और लगातार सेवा भावना के साथ मुझे प्रदेश भर में सेवा करने का अवसर मिल रहा है मुझे पूरी उम्मीद एवं भरोसा है कि इसी प्रकार से काश फाउंडेशन को सहयोग मिलता रहेगा और हम इसी प्रकार से जरूरतमंद सिकलिन एवं थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को अपनी सेवाएं देते रहेंगे और एक दिन निश्चित ही इस सिकलिन एवं थैलेसीमिया से मुक्त भारत होगा।
इस कार्यशाला में मुख्य रूप से डा सुनील भट नारायणा बैंगलोर ने छत्तीसगढ़ के 100 से ज्यादा बच्चो का बोन मैरो ट्रांसप्लाट कर चुके है सभी बच्चो को मार्गदर्शन और जागरूकता दी ,दिल्ली से डॉ.जे.एस.अरोरा, शोभा तुली,हैदराबाद थैलेसीमिया सिकलसेल सोसाइटी से चंद्रकांत अग्रवाल रत्नावली आरोही त्रिपाठी, के.ज्योति, नन्नी सिंह, डा नवीन बागरेचा ,अध्यक्ष सुरेश सचदेव, सचिव संदीप कुकरेजा , भारवीं वैष्णव ,विजय मत्थानी ,श्रीचंद, तन्मय डागा , सिकालसेल फाउंडेशन ,सहयोगी संस्था मितान एवम सहित अन्य गणमान्य नागरिक एवं भारी संख्या में पीड़ित मरीज एवं परिवारजनो ने अपने आसपास जागरूकता फैलाने का संकल्प लिया जशपुर कोंडागांव बागीचा कुनकुरी सूरजपुर नारायणपुर जगदलपुर झारखंड बिहार उड़ीसा मध्यप्रदेश सभी जगह से मरीज भारी संख्या में इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे।