यमुना नदी के 33 में से 23 साइट्स की पानी की गुणवत्ता टेस्ट में फेल हो गए हैं, जिनमें पानी में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा लगभग जीरो पाई गई है। यह जानकारी वाटर रिसोर्स पर बनाई गई पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ने दी है, जो मंगलवार (11 मार्च) को संसद में रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली के 6 साइट्स भी शामिल हैं।
पैनल के अनुसार, इन 23 साइट्स पर पानी में घुलित ऑक्सीजन का स्तर शून्य पाया गया, जो नदी के जीवन को बनाए रखने की क्षमता को दर्शाता है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स के बावजूद प्रदूषण स्तर खतरनाक रूप से बढ़ा हुआ है।
जल गुणवत्ता जांच में चौंकाने वाले परिणाम
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने 33 स्थानों पर पानी की गुणवत्ता का आकलन किया, जिसमें घुलित ऑक्सीजन (DO), पीएच, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) और फेकल कोलीफॉर्म (FC) जैसे प्रमुख पैरामीटर की जांच की गई।
रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के 4-4 साइट्स जल गुणवत्ता मानदंडों को पूरा करते हैं, जबकि दिल्ली और हरियाणा में अधिकतर साइट्स विफल रही हैं।
यमुना के तल में मलबे का संकट
यमुना नदी के तल में जमा मलबे का स्तर भी एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। दिल्ली सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग द्वारा की गई स्टडी में पाया गया कि मलबे में भारी धातुएं जैसे क्रोमियम, तांबा, सीसा और जस्ता की उच्च मात्रा है।
पैनल की सिफारिशें
पैनल ने मलबे को हटाने के लिए नियंत्रित ड्रेजिंग की सिफारिश की है, लेकिन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) ने ड्रेजिंग से पर्यावरणीय गिरावट का खतरा बताया। इसके अलावा, पैनल ने यमुना में पर्यावरणीय प्रवाह बनाए रखने में विफलता को भी चिह्नित किया।
रिपोर्ट में अनधिकृत उद्योगों के डेटा की कमी की भी आलोचना की गई है, जो यमुना में अनुपचारित अपशिष्ट छोड़ते हैं। पैनल ने दिल्ली सरकार से प्रदूषण नियंत्रण उपायों को मजबूत करने की सिफारिश की है।