मानसून इस बार तय समय से 4 दिन पहले पहुंच सकता है, 27 मई को केरल तट से टकराने का अनुमान

इस बार मानसून देश में 4 दिन पहले आ सकता है। मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून 27 मई को केरल तट से टकराएगा। आमतौर पर यह 1 जून को केरल पहुंचता है, लेकिन इस बार मौसम के बदलाव के चलते इसकी एंट्री पहले हो सकती है। अंडमान और निकोबार में 13 मई तक मानसून के आने का अनुमान है।

IMD के मुताबिक, अगर मानसून 27 मई को आ जाता है तो यह 16 वर्षों में पहली बार होगा जब मानसून इतनी जल्दी दस्तक देगा। इससे पहले, 2009 में मानसून ने 23 मई को और 2024 में 30 मई को केरल में कदम रखा था। 2018 में यह 29 मई को आया था।

IMD ने यह भी बताया कि मानसून के दौरान सामान्य से ज्यादा बारिश होने की संभावना है, और 4 महीने के दौरान औसतन 87 से 105 प्रतिशत तक बारिश हो सकती है। भारत में मानसून के सीजन के दौरान सामान्य बारिश का स्तर 96 से 104 प्रतिशत माना जाता है।

यहां तक कि 2024 में मानसून सीजन में 108 प्रतिशत बारिश हुई थी, जबकि IMD और स्काईमेट ने क्रमशः 106 और 102 प्रतिशत बारिश का अनुमान लगाया था। मौसम विभाग के अधिकारी ने बताया कि मानसून के शुरुआती दिन और बारिश के स्तर के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है, इसलिए इसके शुरुआती दिनों में बदलाव का मतलब यह नहीं कि मानसून का असर पूरे देश में एक जैसा होगा।

वर्ष 1972 में मानसून सबसे देरी से केरल पहुंचा था, जब यह 18 जून को केरल में प्रवेश किया था। वहीं, 1918 में मानसून सबसे पहले 11 मई को केरल पहुंचा था।

भारत के लिए मानसून का आना बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर कृषि के क्षेत्र में, क्योंकि देश की 42.3 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। अच्छे मानसून का असर न केवल कृषि उत्पादन पर पड़ता है, बल्कि यह पीने के पानी और बिजली उत्पादन पर भी अहम भूमिका निभाता है।

अगर मानसून का मौसम अच्छा रहता है, तो यह किसानों की आय को बढ़ावा देता है, जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। वहीं, खराब मानसून से फसल उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ता है, जिससे महंगाई बढ़ सकती है।

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