कांकेर : छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में वंदे भारत ट्रेन वाली स्कूल इन दिनों आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. जिले के संवेदनशील तारन्तुल गांव के हायर सेकेंडरी स्कूल को वंदे भारत ट्रेन की कलाकृति का रूप दिया गया है, स्कूल को ट्रेन का रूप देने से ऐसा लग रहा है जैसे गांव में कोई ट्रेन लाकर रख दिया हो और बच्चे ट्रेन की बोगियों वाली क्लास रूम में पढ़ाई कर रहे हो.
तरांदुल हाईस्कूल के प्राचार्य चंद्रकांत साहू ने बताया कि यह 2011 में हाईस्कूल खुला लेकिन नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण यहां स्कूल भवन बनाने कोई ठेकेदार तैयार नहीं था. 2015 में यहां पोटाकेबीन स्कूल भवन (बांस का भवन) बनाया गया. स्कूल में पढ़ने वाले अंदरूनी गांव के छात्रों ने ट्रेन की सवारी तो दूर कभी ट्रेन ही नहीं देखा था. पाठ्यक्रम में ट्रेन के बारे में पढ़ने के दौरान छात्रों ने शिक्षक को ट्रेन देखने की उत्सुक्ता जताई तो स्कूल भवन को ही ट्रेन का स्वरूप दे दिया गया. स्कूल भवन का प्राचार्य कक्ष इंजन तो इसके पीछे बनी कक्षाओं को बोगियों का स्वरूप दिया गया है जो स्कूल को अलग पहचान दे रहे है. गांव के अलावा आसपास के ग्रामीण भी तरांदुल हाईस्कूल भवन को देखने पहुंचते हैं.
स्कूल के शिक्षक प्रदीप सेन ने बताया कि हम लोग शिक्षक हैं और कहीं ना कहीं ट्रेनिंग में बाहर जाते हैं साथ ही हम जब बच्चों को पढ़ाते हैं ट्रेन का एक शब्द आ जाता है तो बच्चों के दिमाग में यहां ट्रेन शब्द आने से वह हमसे सवाल करते हैं कैसा होता है क्या होता है यहां पूछते हैं बस तो देखे हैं लेकिन ट्रेन 90 प्रतिशत बच्चे लोग नहीं देखे हैं क्योंकि यहां एक संवेदनशील क्षेत्र है यहां से जिला मुख्यालय 15 से 20 किलोमीटर दूर है 80 प्रतिशत बच्चे जिला मुख्यालय नहीं देखे होंगे 60 प्रतिशत बच्चे ब्लॉक मुख्यालय नहीं देखे होंगे स्कूल के समस्त स्टाफ ने हमने निर्णय लिया कि जब बच्चे के मन में यहां मानसिकता आ रही है कि हमने स्कूल को कलाकृति के माध्यम से ट्रेन बना दिया हमने दो प्रकार के ट्रेन बनाए हैं एक तो पुराना जो ट्रेन है वहां और बच्चे यहां भी जाने की वंदे भारत ट्रेन क्या होता है इसलिए वंदे भारत ट्रेन भी बनाया गया है.
स्कूली बच्चों के पालक ने बताया कि ऐसा महसूस हो रहा है गांव में ट्रेन आ गई है. वही स्कूली बच्चों ने कहा कि हमे ऐसा लगता है कि हम ट्रेन की बोगियों में बैठकर पढ़ाई कर रहे है. जब स्कूल के लिए निकलते है तो पालक भी बोलते है ट्रेन वाले स्कूल जा रहे है ट्रेन में बैठ कर पढ़ाई करते है.नक्सल व अंदरूनी क्षेत्र तरांदुल हायर सेकेंडरी स्कूल भवन अपने नए स्वरूप के कारण सेल्फी जोन बना हुआ है. 6 महीने पहले ही इस स्कूल को ट्रेन का स्वरूप देने रंगरोगन भवन कराया गया है. स्कूल के सामने से गुजरने वाला हर व्यक्ति एक बार रुक कर जरूर स्कूल भवन को निहारता है. कई तो अंदर भी पहुंचते हैं.