इस साल 14 मार्च को होली का त्योहार पड़ रहा है, और इसी दिन साल का पहला चंद्रग्रहण भी लगने वाला है। इसने सभी के बीच यह चर्चा का विषय बना दिया है कि क्या चंद्रग्रहण का सूतक भारत में मान्य होगा या नहीं।
दरअसल, हर साल फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा की तिथि पर शाम के वक्त होलिका दहन होता है, और इसके अगले दिन रंगोत्सव मनाया जाता है। इस साल 13 मार्च को होलिका दहन और 14 मार्च को होली मनाई जाएगी। हालांकि, इस बार होली के दिन चंद्रग्रहण का साया पड़ने वाला है।
14 मार्च को चंद्रग्रहण का समय सुबह 9:29 बजे से लेकर दोपहर 3:29 तक रहेगा। हालांकि, राहत की बात यह है कि यह चंद्रग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, और इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। चंद्रग्रहण का प्रभाव मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अफ्रीका, प्रशांत, अटलांटिक, आर्कटिक महासागर, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, पूर्वी एशिया और अंटार्कटिका पर पड़ेगा।
चंद्रग्रहण के ज्योतिषीय, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व होते हैं। धार्मिक दृष्टि से राहु और केतु को इसका कारण माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, यह ग्रहण केतु के कारण लगने वाला है। राहु और केतु को सांप के रूप में चित्रित किया जाता है, जिनके कारण ग्रहण लगता है।
14 मार्च को लगने वाला चंद्रग्रहण कन्या राशि में होगा, इसलिए कन्या राशि के जातकों को इस दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि इस राशि के जातकों के लिए यह चंद्रग्रहण अशुभ फल देने वाला रहेगा। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह एक खगोलीय घटना है, जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आते हैं, तो सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है, लेकिन चंद्रमा पर नहीं पड़ता, और इस घटना को चंद्रग्रहण कहा जाता है।