115 दिनों से संघर्षरत B.Ed बर्खास्त शिक्षक बोले – “या तो सेवा सुरक्षा दो, या इच्छा मृत्यु”

अंगारों पर चलकर सरकार को सुनाई पीड़ा, टीचर्स बोले – “हम सीता माता की तरह अग्नि परीक्षा दे रहे हैं”
छत्तीसगढ़ में बर्खास्त किए गए B.Ed सहायक शिक्षकों का आंदोलन शनिवार को 115वें दिन में प्रवेश कर गया। अपनी मांगों को लेकर शिक्षक लगातार अलग-अलग तरीकों से प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई ठोस जवाब नहीं मिला है।

5 अप्रैल की रात शिक्षकों ने अपनी पीड़ा और मांगों को सरकार तक पहुंचाने के लिए अंगारों पर चलकर प्रदर्शन किया। इस दौरान महिला शिक्षिकाओं ने कहा कि जैसे सतयुग में माता सीता को अपनी शुद्धता सिद्ध करने अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी, वैसे ही हमें भी अपनी सच्चाई और हक़ को सिद्ध करने के लिए अंगारों पर चलना पड़ रहा है।

“सरकार सेवा सुरक्षा दे या इच्छा मृत्यु” – शिक्षकों का अल्टीमेटम
प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों ने साफ शब्दों में कहा कि यदि सरकार उन्हें समायोजन (नियुक्ति) नहीं देना चाहती, तो इच्छा मृत्यु की अनुमति दे दे। एक शिक्षक ने कहा, “सरकार आए और एक ही बार में गोली मारकर हमारा किस्सा खत्म कर दे। अगर हमारी मांगों से उन्हें इतनी परेशानी है, तो हमे खत्म कर दिया जाए।”

महिला शिक्षकों का आरोप – पुलिस ने मंदिर जाने से रोका, बसों में ठूंसा गया
रामनवमी के दिन शिक्षक कटोरा तालाब से राम मंदिर दर्शन के लिए जा रहे थे, लेकिन उन्हें पुलिस ने वहां तक पहुंचने नहीं दिया। महिला शिक्षिकाओं ने आरोप लगाया कि उन्हें बसों में जबरदस्ती ठूंसा गया। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या छत्तीसगढ़ राज्य में धार्मिक आस्था भी अब प्रतिबंधित कर दी गई है?

“हमारे पैर अंगारों से कम, सरकार की बेरुखी से ज्यादा जले हैं”
एक महिला शिक्षक ने कहा, “हमने अंगारों पर चलकर माता रानी से मन्नत मांगी है कि सरकार को सद्बुद्धि मिले और हमारा समायोजन हो जाए। लेकिन अब तक सरकार ने हमारी सुध नहीं ली।”

कांग्रेस ने साधा निशाना, कहा – “युवाओं को अंगारों पर चलना पड़ रहा, ये दुर्भाग्यजनक है”
इस मामले में कांग्रेस ने भी सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा, “ये बेहद दुर्भाग्यजनक है कि आज के युवाओं को नौकरी के लिए अंगारों पर चलना पड़ रहा है। ये वही बीजेपी है जिसने वादा किया था कि 5 साल में 1 लाख युवाओं को रोजगार देंगे।”

उन्होंने आगे कहा कि अगर ऐसा होता, तो अब तक कम से कम 20 हजार युवाओं को नौकरी मिल जानी चाहिए थी। उन्होंने 3000 B.Ed शिक्षकों की बर्खास्तगी को प्रदेश के लिए शर्मनाक बताया।

“कमेटी के नाम पर छलावा हो रहा” – शिक्षकों का आरोप
शिक्षकों ने यह भी आरोप लगाया कि केवल कमेटी बनाने की बात कहकर उन्हें लगातार भ्रमित किया जा रहा है। 115 दिनों के संघर्ष के बाद भी सरकार का कोई भी प्रतिनिधि उनसे मिलने नहीं आया है।

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