यूट्यूबर रणवीर अलाहबादिया ने अब सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। अलाहबादिया के अश्लील कमेंट को लेकर देशभर में कई FIR दर्ज हुई थीं, और अब यूट्यूबर ने इन FIRs के खिलाफ शीर्ष कोर्ट में शुक्रवार को याचिका दायर की।रणवीर अलाहबादिया की तरफ से वकील अभिनव चंद्रचूड़ पैरवी करेंगे, और याचिका को एक-दो दिन में लिस्टेड किया जाएगा। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच इसकी सुनवाई करेगी।
चंद्रचूड़ ने अपने मुवक्किल की याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की थी, क्योंकि असम पुलिस ने शुक्रवार को उन्हें समन भेजा था। पूरा मामला यूट्यूब के शो ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ में किए गए अश्लील कमेंट्स से जुड़ा है। वहीं, गुरुवार को स्टैंड-अप कॉमेडियन समय रैना को भी मुंबई पुलिस के बाद असम पुलिस ने समन भेजा। असम क्राइम ब्रांच के दो अधिकारी पुणे में समय रैना के घर पहुंचे और उन्हें कानूनी नोटिस दिया। इससे पहले असम पुलिस ने रणवीर अलाहबादिया और आशीष चंचलानी को भी नोटिस भेजा था।
असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने भी इस मामले में राज्य में FIR की जानकारी दी थी। उन्होंने अपने X पोस्ट में बताया कि गुवाहाटी पुलिस ने ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ शो में अश्लीलता को बढ़ावा देने के आरोप में कई प्रमुख यूट्यूबर्स और सितारों के खिलाफ FIR दर्ज की है, जिनमें रणवीर अलाहबादिया, समय रैना, आशीष चंचलानी, जसप्रीत सिंह, और अपूर्वा मखीजा का नाम शामिल है।
इस विवाद में यूट्यूबर समय रैना और रणवीर अलाहबादिया के खिलाफ मुंबई में भी दो FIR दर्ज हो चुकी हैं, जिन्हें महाराष्ट्र पुलिस की साइबर ब्रांच द्वारा दायर किया गया है। इन FIRs के अलावा, शो के अन्य गेस्ट पर भी कार्रवाई की गई है। आल इंडिया सिने वर्कर्स एसोसिएशन ने भी इस शो पर बैन लगाने की मांग की है और गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। महिला आयोग ने भी इस मामले में शामिल सभी यूट्यूबर्स को समन भेजा है और 17 फरवरी को एनसीडब्ल्यू कार्यालय में बुलाया है।
वहीं, इस बीच ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ के प्रोड्यूसर और शो के जज पैनल के सदस्य रघुराम ने भी महाराष्ट्र साइबर सेल के ऑफिस में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, अब पार्लियामेंट की आईटी कमेटी भी इस मुद्दे पर विचार कर रही है, और इसके लिए रणवीर अलाहबादिया को नोटिस भेजने की संभावना है। ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ का विवादित एपिसोड 8 फरवरी को यूट्यूब पर रिलीज हुआ था। शो के कंटेंट को लेकर कई सांसदों ने नाराजगी जाहिर की है और गाइडलाइंस जारी करने की मांग की है।