सुल्तानपुर लोधी के गुरप्रीत सिंह का दर्दनाक अनुभव: अमेरिका जाने का सपना टूटने के बाद जीवन की कठिनाईयाँ…..

पंजाब के कपूरथला जिले के सुल्तानपुर लोधी में रहने वाले गुरप्रीत सिंह ने अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए विदेश जाने का सपना देखा था। यह वही जगह है जहां विदेश भेजने वाले संस्थानों के होर्डिंग्स हर जगह नजर आते हैं, ठीक वैसे ही जैसे दिल्ली के मुखर्जी नगर में UPSC की तैयारी के संस्थान होते हैं। गुरप्रीत ने भी गरीबी से बाहर निकलने के लिए इस सपने को पूरा करने का निर्णय लिया, लेकिन उनका यह सपना चकनाचूर हो गया और वे घर लौटे तो न केवल उनका सपना टूट गया, बल्कि उन्होंने जो पैसे और जमीन बेची थी, वह भी खत्म हो गई।

अमेरिका जाने का सपना और कठिनाईयाँ
गुरप्रीत के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। उनके पिता मंडी में काम करते थे, जिससे घर का गुजारा मुश्किल था। 10वीं कक्षा के बाद, गुरप्रीत ने पढ़ाई छोड़कर सुल्तानपुर लोधी की एक फैक्ट्री में काम करना शुरू किया। बाद में उन्होंने ट्रांसपोर्टेशन का व्यवसाय शुरू किया, जिससे कुछ पैसे कमाए। 2020 में कोविड के बाद उनका व्यवसाय मंदा पड़ा और उन्हें मजदूरी करने पर मजबूर होना पड़ा। इस दौरान उन्हें विदेश जाने का ख्याल आया और उन्होंने पंजाब के एक एजेंट से संपर्क किया, जिसने उन्हें अमेरिका भेजने का प्रस्ताव दिया।

गुरप्रीत ने एजेंट से 40 लाख रुपये में अमेरिका भेजने की बात की और इसके लिए उन्होंने अपने घर की ज़मीन भी बेच दी। उनके परिवार ने कुछ रिश्तेदारों से कर्ज लिया, और दोस्तों और अन्य जानकारों से भी पैसे जुटाए। इस तरह, 28 अगस्त 2024 को गुरप्रीत ने अपने परिवार से अलविदा लिया और अमेरिका जाने के लिए यात्रा शुरू की।

डंकी रूट से यात्रा की शुरुआत
गुरप्रीत की यात्रा का रास्ता आसान नहीं था। डंकी रूट से वे अवैध तरीके से अमेरिका जाने के लिए निकल पड़े, जिसमें एजेंट उन्हें मेक्सिको और कनाडा के बॉर्डर से पार कराकर अमेरिका भेजता था। इस यात्रा में कई बार उन्हें जंगलों और नदियों को पार करना पड़ा। पनामा के जंगलों में वे 6 दिन तक भूखे और भीगे रहे, और उनके पास मोबाइल भी नहीं था क्योंकि यात्रा के दौरान वह खराब हो गया था।

गुरप्रीत ने बताया कि पनामा के जंगल में 200 किलोमीटर का रास्ता पार करते हुए वे कई खतरों से जूझे, जैसे सांप और बिच्छू का डर और दूसरे डंकी लोगों द्वारा पैसे छीन लेना। वह लगातार अपनी यात्रा के दौरान डरे हुए थे, लेकिन अंत में उन्हें एक उम्मीद थी कि वे अमेरिका पहुंच जाएंगे।

अरेस्ट और डिपोर्टेशन
4 नवंबर 2024 को गुरप्रीत को पनामा में अरेस्ट कर लिया गया और फिर 18 नवंबर को उन्हें कोस्टा रिका भेज दिया गया। वहीं से वे मेक्सिको पहुंचे, लेकिन अमेरिका में दाखिल होने से पहले ट्रम्प सरकार के नए इमिग्रेशन नियमों ने उनके सपने को तोड़ दिया। उन्होंने बताया कि 2 फरवरी 2025 को उन्हें और अन्य अवैध इमिग्रेंट्स को डिपोर्ट कर दिया गया। उन्हें 40 घंटे तक बेड़ियों में बैठाकर भारत वापस भेजा गया।

घर वापसी और परिवार की चिंता
5 फरवरी 2025 को गुरप्रीत अमृतसर लौटे, लेकिन उनकी वापसी की खबर उनके परिवार को पहले से नहीं थी। जब उन्हें अपने बेटे की वापसी का पता चला, तो परिवार शॉक में था। घरवालों के लिए यह खबर बहुत दुखद थी, क्योंकि उन्होंने जो पैसे और जमीन बेची थी, वह अब पूरी तरह से खो चुकी थी। अब गुरप्रीत की सबसे बड़ी चिंता यह है कि वह जिनसे कर्ज लेकर पैसे जुटाए थे, उन्हें कैसे चुकाएंगे।