सावन के दूसरे सोमवार को शिवालयों में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, अमरकंटक से भोरमदेव तक कांवड़ यात्रा की धूम

रायपुर/अमरकंटक/बिलासपुर/गरियाबंद/खरौद
सावन मास के दूसरे सोमवार को पूरे छत्तीसगढ़ में शिवभक्ति की बयार बह रही है। अलसुबह से ही श्रद्धालु प्रदेश के छोटे-बड़े शिवालयों में पहुंचकर जलाभिषेक कर रहे हैं। ‘हर-हर महादेव’ के जयकारों से मंदिर परिसर गूंज उठे हैं। कई स्थानों पर भक्ति गीतों (जसगीतों) पर श्रद्धालु थिरकते भी नजर आए।
अमरकंटक से 151KM की कांवड़ यात्रा पर निकलीं विधायक भावना बोहरा
पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने अमरकंटक से 151 किमी लंबी कांवड़ यात्रा की शुरुआत की है। वे सैकड़ों श्रद्धालुओं के साथ नर्मदा उद्गम से जल लेकर कांवड़ यात्रा में निकली हैं, जो अगले सोमवार को कवर्धा जिले के प्रसिद्ध भोरमदेव मंदिर में संपन्न होगी। उन्होंने इसे छत्तीसगढ़ की समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए संकल्प यात्रा बताया।
गरियाबंद के भूतेश्वर धाम में शिवमय माहौल
गरियाबंद स्थित प्रसिद्ध भूतेश्वर धाम में सुबह से श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। भक्ति रस में डूबे श्रद्धालु जसगीतों पर झूमते नजर आए।
वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने की पूजा-अर्चना और छाते भेंट किए
वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने रायगढ़ के गौरी शंकर मंदिर में पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की। मंदिर परिसर में उन्होंने बेलपत्र और फूल बेचने वाले दुकानदारों को धूप-बारिश से सुरक्षा के लिए बड़े छाते भी भेंट किए। लोगों ने इस gesture की सराहना की।
अमरकंटक और ज्वालेश्वर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
सावन सोमवार के अवसर पर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल से हजारों श्रद्धालु अमरकंटक पहुंचे। नर्मदा उद्गम से जल भरकर वे ज्वालेश्वर महादेव में जलाभिषेक कर रहे हैं। सुबह से ही मंदिर परिसर ‘हर-हर महादेव’ के जयकारों से गूंज रहा है।
खरौद के लक्ष्मेश्वर महादेव मंदिर में उमड़ी आस्था
छत्तीसगढ़ के काशी कहे जाने वाले खरौद स्थित लक्ष्मेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। मान्यता है कि इस मंदिर के शिवलिंग में सवा लाख छिद्र हैं और इसकी स्थापना भगवान श्रीराम और लक्ष्मण ने वनवास काल में की थी। यहां सवा लाख अक्षत चढ़ाने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
बिलासपुर के शिवालयों में भक्ति और सजावट का संगम
बिलासपुर जिले में चांटीडीह, विनोबा नगर, कालजयी मंदिर, शंकर नगर, तिफरा और सिरगिट्टी जैसे प्रमुख शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ी। भगवान शिव का जलाभिषेक गंगा जल, दूध, दही, शहद और बेलपत्र से किया गया। मंदिरों को फूलों और रंगीन रोशनी से सजाया गया और महाआरती के साथ दिनभर भक्ति का उत्साह बना रहा।