बारहवीं पास करने के बाद छात्रों को उनके नजदीकी कॉलेजों में पढ़ाई करने की सुविधा देने के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने एक नई पहल शुरू की है। इसके तहत प्रदेश के सरकारी कॉलेज स्कूलों में जाकर वहां चल रहे कोर्स की जानकारी देंगे। इसके साथ ही छात्रों की डिमांड के आधार पर कॉलेजों में सीटें बढ़ाई जाएंगी। यह प्रक्रिया अप्रैल से फिर से शुरू होगी, और इस संबंध में तैयारियां चल रही हैं।
प्रदेश में उच्च शिक्षा से जुड़ी 335 शासकीय कॉलेजों में यूजी की लगभग 1 लाख 80 हजार सीटें हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इन सीटों का पर्याप्त उपयोग नहीं हो पाया है। कई बार यह सामने आया कि कुछ कोर्सों की डिमांड ज्यादा होने के बावजूद सीटें कम हैं, जबकि कुछ कोर्सों में डिमांड कम होने के कारण सीटें ज्यादा हैं। इसी मुद्दे को हल करने के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेजों के माध्यम से एक सर्वे कराया है।
कॉलेज के अधिकारी आस-पास के स्कूलों में जाकर यह जानकारी जुटाएंगे कि वहां के बारहवीं के छात्र किस स्ट्रीम के हैं। इसके बाद कॉलेजों में उन विषयों की सीटें बढ़ाई जाएंगी जिनकी डिमांड अधिक है, जैसे कि यदि किसी कॉलेज में आसपास के स्कूलों में आर्ट्स के छात्रों की संख्या कम है, लेकिन बायो साइंस में अधिक है, तो उस कॉलेज में बायो साइंस की सीटें बढ़ाई जाएंगी।
उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस प्रक्रिया के तहत अप्रैल में कॉलेज की टीम स्कूलों में जाएगी और वहां के छात्रों को अपने कॉलेजों के कोर्स की जानकारी देगी। इसके साथ ही छात्रों को कॉलेज की सुविधाओं के बारे में भी बताया जाएगा।
साथ ही, उच्च शिक्षा से संबंधित प्रदेश के कॉलेजों में प्रवेश की प्रक्रिया जून के पहले सप्ताह से शुरू होगी। पिछले वर्ष राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू होने के कारण प्रवेश प्रक्रिया में देरी हुई थी, जिसके कारण क्लासेस भी देर से शुरू हुई थीं। इस बार अधिकारियों का कहना है कि प्रवेश प्रक्रिया जून के पहले सप्ताह से शुरू हो जाएगी और प्रयास किए जाएंगे कि जुलाई के पहले या दूसरे सप्ताह से सेमेस्टर की पढ़ाई शुरू हो सके।
गौरतलब है कि प्रदेश के कॉलेजों में यूजी फर्स्ट ईयर में प्रवेश बारहवीं के नंबर के आधार पर होता है और इसके लिए कोई प्रवेश परीक्षा नहीं होती है। वहीं, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के अध्ययनशाला में विभिन्न कोर्सों के लिए एंट्रेंस एग्जाम आयोजित किए जाते हैं।