भारत सरकार ने फ्रांस से 26 राफेल मरीन फाइटर जेट खरीदने की डील को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने 9 अप्रैल को 64,000 करोड़ रुपए की इस डील पर मुहर लगाई।
भारत को 22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर फाइटर जेट मिलेंगे। ये विमान भारतीय नौसेना के स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत पर तैनात किए जाएंगे, जिससे हिंद महासागर में चीन से मुकाबले में नौसेना की ताकत बढ़ेगी।
INS डेगा होगा ऑपरेशनल बेस
इन फाइटर जेट्स को आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम स्थित INS डेगा से ऑपरेट किया जाएगा। पहले डिलीवरी में 2-3 साल लग सकते हैं। वायुसेना के लिए 36 राफेल विमानों की डिलीवरी में 7 साल लगे थे।
फीचर्स और ताकत
राफेल-M एडवांस्ड इंजन, अरेस्टर लैंडिंग सिस्टम और स्की-जंप टेकऑफ की क्षमता के साथ आता है। यह कम जगह में टेकऑफ और लैंडिंग कर सकता है, और एंटी-शिप स्ट्राइक व न्यूक्लियर मिशन के लिए डिजाइन किया गया है।
इसकी रफ्तार 1,912 kmph, रेंज 3,700 किमी और अधिकतम ऊंचाई 50,000 फीट है। इसका 85% हार्डवेयर भारतीय वायुसेना के राफेल से मेल खाता है, जिससे लॉजिस्टिक और मेंटेनेंस में सहूलियत मिलेगी।
मिग-29 की जगह लेगा राफेल-M
INS विक्रांत को शुरुआत में मिग-29K के लिए डिजाइन किया गया था, लेकिन तकनीकी दिक्कतों और दुर्घटनाओं के चलते नौसेना ने उसे हटाने का फैसला लिया है। इसके विकल्प के तौर पर राफेल-M और अमेरिका का F/A-18 सुपर हॉर्नेट टेस्टिंग में थे। गोवा में टेस्ट के बाद नौसेना ने राफेल-M को बेहतर पाया।
भविष्य की योजना
नौसेना 2030 तक स्वदेशी ट्विन-इंजन डेक-बेस्ड फाइटर (TEDBF) यानी नौसेना वर्जन तेजस को भी अपने बेड़े में शामिल करेगी। फिलहाल DRDO द्वारा इसका विकास जारी है।
चीन से मुकाबले की तैयारी
चीन अपने तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर ‘फुजियान’ का परीक्षण कर रहा है, जो 80,000 टन से ज्यादा वजनी है। इसके अलावा उसके पास 60,000 टन वजनी लियाओनिंग और 66,000 टन वजनी शांदोंग भी हैं। भारत नेवी को मजबूत कर इन चुनौतियों का सामना करने की तैयारी कर रहा है।