जल जीवन मिशन: ठेकेदारों और कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया गया, अफसरों पर कार्रवाई की गई, फिर भी केवल 80% काम ही पूरा हो पाया।
छत्तीसगढ़ में नल से पीने योग्य साफ पानी पहुंचाने के लिए शुरू की गई जल जीवन मिशन योजना विवादों से घिरी रही है। इस योजना के तहत कई अफसरों, जिनमें पूर्व ईएनसी भी शामिल हैं, पर कार्रवाई की गई है। इसके साथ ही सप्लायर कंपनियों और ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट किया गया है। फिर भी योजना का केवल 80% ही कार्य पूरा हो सका है, जबकि इस मिशन को दिसंबर 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
केंद्र और राज्य सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत राज्य की 11,658 ग्राम पंचायतों और 19,657 गांवों के 50 लाख घरों में नल से पानी पहुंचाने का लक्ष्य था। अब तक 39,85,564 घरों में नल कनेक्शन स्थापित किया जा चुका है, जो कुल लक्ष्य का 79.64% है। साथ ही, 43,924 स्कूलों, 41,663 आंगनबाड़ी केंद्रों, 17,319 ग्राम पंचायत भवनों और सामुदायिक उप-स्वास्थ्य केंद्रों में भी पानी की आपूर्ति की व्यवस्था की गई है।
इस योजना में केंद्र और राज्य सरकार का 50-50 प्रतिशत बजट खर्च किया जा रहा है। इसके तहत हर व्यक्ति को रोजाना 55 लीटर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। जल जीवन मिशन के आंकड़ों के अनुसार, राज्य के सभी जिलों में 60% से अधिक कार्य पूरा हो चुका है। हालांकि, धमतरी जिले में 98.63% कार्य पूरा हो चुका है, जबकि बीजापुर में केवल 57% कार्य पूरा हुआ है। प्रदेश के 16 जिलों में 80% से अधिक काम पूरा हो चुका है, और 3,600 गांवों के घरों में नल से जल आपूर्ति की जा रही है।

2023 में योजना के तहत 250 से अधिक ठेकेदारों को अनियमितता के कारण नोटिस जारी किया गया था, और दो ईई (कार्यपालन अभियंता) को निलंबित किया गया था। इसके अलावा, ओडिशा के फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर काम करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए आठ ठेकेदारों को नोटिस जारी किया गया था। हाल ही में, बिलासपुर, जगदलपुर, बैकुंठपुर, बेमेतरा, अंबिकापुर और सुकमा के ईई को निलंबित किया गया है, जबकि पांच अन्य ईई को नोटिस जारी किया गया था।
वर्तमान में, सरकार के पास 712.62 करोड़ रुपए का बजट उपलब्ध है, जिसमें से 508.90 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।
