रायपुर में ट्रैफिक की समस्याओं को सुधारने और शहरवासियों में ट्रैफिक नियमों के पालन की जागरूकता पैदा करने के लिए एक अनोखी जोड़ी सामने आई है। 15 साल का छात्र और 75 साल का बुजुर्ग दोनों रोज़ शहर के व्यस्त चौक-चौराहों और सड़कों पर खड़े होकर ट्रैफिक नियंत्रण में पुलिस की मदद करते हैं। इस जोड़ी ने ट्रैफिक सुधारने के लिए अपनी सेवा दी है और अब उन्हें ट्रैफिक वार्डन बना दिया गया है।
छात्र ने शुरू की पहल: पंडरी के रहने वाले 15 वर्षीय प्रकाश शर्मा ने बताया कि उनके पिता संतोष सब्जी का ठेला लगाते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उन्होंने 8वीं कक्षा की पढ़ाई छोड़ दी। रोज़ सुबह वह मंडी गेट स्थित हनुमान मंदिर जाते थे और जाम में फंस जाते थे। उन्होंने देखा कि इसके जैसी समस्याओं का सामना कई लोग कर रहे थे। इस परेशानी को देख, वह अपनी तरफ से सड़कों पर खड़ी गाड़ियों को व्यवस्थित करने लगे और धीरे-धीरे जाम क्लियर करने का काम करने लगे। एक दिन एक बुजुर्ग अंकल ने उन्हें देखा और उन्हें रायपुर एसएसपी के पास ले गए।
यहां उनकी निस्वार्थ सेवा को देखा गया और उन्हें ट्रैफिक वार्डन बना दिया गया। अब प्रकाश शर्मा पिछले 4 साल से ट्रैफिक पुलिस के साथ मिलकर लोधीपारा, अवंति बाई चौक, पंडरी रोड और देवेंद्र नगर इलाकों में जाम क्लियर करने का कार्य कर रहे हैं। वह कहते हैं, “मेरा उद्देश्य है कि लोग ट्रैफिक नियमों को समझें और उनका पालन करें, ताकि जाम की समस्या न हो और हादसों में कमी आए।”
75 वर्षीय बुजुर्ग का योगदान: पंडरी मंडी गेट निवासी 75 वर्षीय सुफल यादव, जिन्हें ट्रैफिक अंकल के नाम से जाना जाता है, भी हर दिन सुबह 9 बजे से 12 बजे और फिर शाम 5 बजे से रात 8 बजे तक चौक-चौराहों पर खड़े रहते हैं। वे ट्रैफिक जाम को दूर करने के लिए दौड़ते हैं, नो पार्किंग में खड़ी गाड़ियों को हटाते हैं और लोगों को ट्रैफिक नियमों के बारे में जानकारी देते हैं। सुफल यादव बताते हैं, “मैं पुलिस में भर्ती होना चाहता था, लेकिन चयन नहीं हो पाया। अब मेरी सेवा का उद्देश्य है कि शहर में ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सके।”
दोनों की निस्वार्थ सेवा को पुलिस ने सराहा: प्रकाश और सुफल यादव की इन निस्वार्थ सेवाओं को देखते हुए रायपुर पुलिस ने उन्हें ट्रैफिक वार्डन नियुक्त किया है। अब ये दोनों ट्रैफिक नियंत्रण के काम में नियमित रूप से पुलिस की मदद कर रहे हैं और शहरवासियों को ट्रैफिक नियमों के पालन की प्रेरणा दे रहे हैं।
इन दोनों की सेवा से यह साफ है कि किसी भी उम्र में अगर मन में नेक उद्देश्य हो, तो समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।