गुजरात की एक अदालत ने सोमवार को राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कुलदीप शर्मा को 1984 के एक मामले में दोषी ठहराते हुए तीन महीने की सजा सुनाई। यह मामला कच्छ के पुलिस अधीक्षक (एसपी) रहते हुए कांग्रेस नेता इब्राहिम मंधारा पर हमला करने और उन्हें गलत तरीके से बंधक बनाने का था।
अदालत ने पूर्व पुलिस निरीक्षक गिरीश वासवदा को भी दोषी ठहराया और उन्हें भी तीन महीने की सजा सुनाई। दोनों आरोपियों को आईपीसी की धारा 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना) के तहत दोषी पाया गया है। साथ ही, उन्हें 1,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।
यह मामला 1984 का है, जब कांग्रेस नेता इब्राहिम मंधारा (इभाला सेठ) और उनके प्रतिनिधिमंडल ने एसपी कुलदीप शर्मा से मिलने के दौरान तीखी बहस के बाद उन पर हमला किया था। शिकायत के अनुसार, इब्राहिम और उनके साथियों ने कच्छ के एसपी कार्यालय में पुलिस कार्रवाई को लेकर शर्मा से मुलाकात की थी, लेकिन बाद में शर्मा और उनके अधिकारियों ने इब्राहिम को बंधक बनाकर मारपीट की।
इब्राहिम मंधारा का अब निधन हो चुका है, लेकिन उनके बेटे इकबाल मंधारा ने इस फैसले को न्याय की जीत करार दिया। उन्होंने कहा, “न्याय में देरी न्याय से इनकार के समान है, लेकिन 40 साल बाद सच्चाई की जीत हुई है।”