छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा ईडी की रिमांड में हैं। उन्हें रायपुर स्थित ईडी कार्यालय में पूछताछ के दौरान गिरफ्तार किया गया। ईडी के वकील ने दावा किया है कि लखमा को हर महीने 2 करोड़ रुपए कमीशन मिलता था।
पहले हर महीने 50 लाख रुपए मिलने की बात सामने आई थी, लेकिन जांच में पता चला कि अतिरिक्त 1.5 करोड़ रुपए भी दिए जाते थे। आरोप है कि 36 महीनों में कुल 72 करोड़ रुपए की अवैध आय हुई, जो सुकमा में उनके बेटे हरीश कवासी के घर और कांग्रेस भवन के निर्माण में खर्च की गई।
ईडी के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपियों अरुणपति त्रिपाठी और अरविंद सिंह ने बताया कि शराब कर्टेल से लखमा को हर महीने कमीशन दिया जाता था। आबकारी विभाग के अधिकारी पैसों का इंतजाम करते और बैग के जरिए रकम पहुंचाई जाती थी।
लखमा के वकील ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनके घर से कुछ भी बरामद नहीं हुआ। वहीं, ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि 2019 से 2022 के बीच अवैध शराब बिक्री से 2161 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ।
ईडी का खुलासा
- कमीशन का हिस्सा: सरकारी शराब दुकानों से डिस्टिलर्स से रिश्वत के जरिए प्रति केस कमीशन।
- कच्ची शराब की बिक्री: बेहिसाब देशी शराब बेचकर सरकारी खजाने को नुकसान।
- लाइसेंस धारकों से कमीशन: विदेशी शराब कारोबार में कार्टेल बनाकर रिश्वत वसूली।
ईडी ने कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश कवासी के घरों समेत कई ठिकानों पर छापेमारी की। जांच के मुताबिक, इस सिंडिकेट में आईएएस अफसर अनिल टुटेजा और कारोबारी अनवर ढेबर की भी अहम भूमिका है।