दिल्ली 24 मई 2022: दिल्ली के साकेत कोर्ट में कुतुबमीनार मामले सुनवाई पूरी हो गई है, हिंदू पक्ष की तरफ से कोर्ट में कुतुब मीनार परिसर में पूजा के अधिकार की मांग की गयी है, हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन द्वारा ये दलील दी गयी है कि वहां 1600 साल पुराना पिलर है
और हिंदू पक्ष के द्वारा ये मांग भी की गयी कि कुतुब मीनार में मंदिर ट्रस्ट बनाया जाये, इस मामले में कोर्ट का फैसला 9 जून को सुनाया जायेगा,
कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों को एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. कोर्ट ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा है.
हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने रखा अपना पक्ष
सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के वकील हरीशंकर जैन ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा कि यहां प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता. और नेशनल मॉन्युमेंट एक्ट कहता है कि किसी संरक्षित स्मारक के धार्मिक स्वरुप को बदला नहीं जा सकता. हमारा ये कहना है कि यहा देवता हमेशा विद्यमान रहे हैं, उनकी मौजूदगी हमेशा से है. उनकी पूजा अर्चना का अधिकार भी कायम है.
हरिशंकर जैन ने आगे कहा कि 800 सालों से भी ज्यादा समय से यहां नमाज नहीं पढ़ी गई इस मामले में सिविल कोर्ट ने प्लेसस ऑफ वर्शिप एक्ट के आधार पर याचिका खारिज कर दी थी. ASI के वकील सुभाष गुप्ता ने कहा कि याचिका स्वीकार करने लायक नहीं है. निचली अदालत का आदेश सही था.
ASI के वकील द्वारा याचिका को खारिज करने की मांग की गयी
ASI के वकील ने अपना पक्ष रखते हुये कहा कि किसी स्मारक के अधिग्रहण के वक्त स्मारक का जो धार्मिक स्वरूप है, उसमें बदलाव नहीं किया जा सकता. यहां भी हमारा रुख यही है, किसी स्मारक का स्वरूप वही रहेगा जो अधिग्रहण के वक्त था. ASI के वकीन ने दलील दी कि इसी लिहाज से कुछ स्मारक में पूजा की इजाजत है कुछ में नहीं. ये अधिग्रहण के वक्त की स्थिति से तय होता है. अगर किसी को आपत्ति है तो 60 दिन के अंदर ही आपत्ति दर्ज करा सकता है, इसके बाद नहीं.