रायपुर : छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले में मनोहर गौशाला ने गोबर और गोमूत्र से चटाई बनाई गई है। चटाई बनाने में कामधेनु गाय का करीब 100 किलो गोबर और गोमूत्र का इस्तेमाल हुआ है। गोशाला की ओर से यह चटाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट की जाएगी।
दावा है कि देश में पहली बार इस तरह की चटाई बनाई गई है। चटाई का निर्माण 54 कारीगरों ने 11 महीने में किया है। इसका वजन 14.5 किलो है। इसे बनाने वाले कारीगर बताते हैं कि ऋषि चरक इस तरह की चटाई का प्रयोग करते थे। शास्त्रों में भी इसका वर्णन है। उसी आधार पर इसे बनाया गया है। ऋषि चरक का नाम महान आयुर्वेदाचार्य में होता है।
पांच साल से चटाई बनाने की कोशिश कर रहे थे
गोशाला संचालक अखिल पदम डाकलिया ने बताया कि पांच साल से इस चटाई को बनाने की कोशिश कर रहे थे। इस चटाई को सप्ताह भर में प्रधानमंत्री को स्पीड पोस्ट के जरिए भेज देंगे। इससे पहले हम गोबर के दीपक, राखी, ब्रेसलेट और गणपति भी बनाते रहे हैं। पूर्व राज्यपाल अनुसुईया उईके गोबर से बनी राखी पीएम मोदी को बांध चुकी हैं।
उन्होंने बताया कि, पूर्व राज्यपाल अनुसुईया उईके भी 5 बार गोशाला कामधेनु माता देखने खैरागढ़ आ चुकी हैं। वहीं 10 देशों के प्रतिनिधि, आचार्य विद्यासागर महाराज और जगन्नाथ पुरी के शंकराचार्य स्वामी निखिलानंद सरस्वती भी गोशाला आ चुके हैं।
प्लास्टिक मानव समाज का दुश्मन
अखिल पदम कहते हैं कि प्लास्टिक मानव समाज का दुश्मन है। हम गाय और गोधन पर बहुत करीब से काम कर रहे हैं। मानव स्वास्थ्य के अच्छे प्रचार के लिए काम कर रहे हैं। वैज्ञानिक आधार पर गाय के गोबर के कई फायदे हैं। ये रेडिएशन रोकता है। ब्लड प्रेशर-शुगर नियंत्रित करता है।
गोबर की चटाई बनाने की विधि
अखिल पदम डाकलिया ने बताया कि यह चटाई ‘चरक ऋषि की पद्धति’ से ही बनाई गई है। सबसे पहले सुबह 7 बजे से कुछ घंटे तक कामधेनु गाय के गोबर को 14 दिन तक धूप दिखाना पड़ता है। तब गोबर से लस और गोंद की तरह चिपचिपा निकलता है। उसके बाद पतले-पतले आकार के गोबर के बट्स बनाते हैं।
पतले आकार का बट्स बनाते समय 90 प्रतिशत टूट जाते हैं। केवल 10 प्रतिशत बट्स से ही चटाई बनती है। चटाई में केवल गोबर, गोमूत्र और नायलॉन रस्सी का इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने बताया कि कोलकाता के कारीगर और गोशाला के कर्मचारियों ने मिलकर काम किया है।