दिल्ली के इंदिरा भवन में आज कांग्रेस नेता राहुल गांधी छत्तीसगढ़ के जिला अध्यक्षों से संवाद करेंगे। इस बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी मौजूद रहेंगे।
कांग्रेस संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की कवायद में जुटी है, और इसी कड़ी में लगातार बैठकें आयोजित की जा रही हैं। इससे पहले 27 मार्च को दक्षिण और उत्तर भारत के राज्यों के जिला अध्यक्षों को बुलाया गया था, और अब छत्तीसगढ़, पंजाब समेत हिंदी भाषी राज्यों के जिला अध्यक्षों की बैठक बुलाई गई है।
बैठक का मुख्य उद्देश्य
कांग्रेस इस समय संगठन को नए सिरे से खड़ा करने की कोशिश कर रही है। पार्टी नेतृत्व अब जिला अध्यक्षों को अधिक अधिकार देने और उनकी जिम्मेदारियों को स्पष्ट करने की दिशा में काम कर रहा है। इसके तहत, पार्टी नेतृत्व बूथ स्तर से लेकर जिला स्तर तक संगठन को मजबूत करने की योजना पर काम कर रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत करने की योजना पर काम चल रहा है, और बैठक में जिला अध्यक्षों को संगठन विस्तार के नए टास्क दिए जा सकते हैं।
बैठक का शेड्यूल
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दोपहर 1:30 बजे: जिला अध्यक्षों को दिल्ली के इंदिरा भवन पहुंचने के निर्देश
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शाम 3 बजे: राहुल गांधी से संवाद का कार्यक्रम
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3 और 4 अप्रैल: कांग्रेस के जिला अध्यक्षों के साथ संवाद का सिलसिला जारी रहेगा
राहुल गांधी की रणनीति
राहुल गांधी कांग्रेस के संगठन को जिलास्तर से लेकर हाईकमान तक फिर से मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसके तहत, वे पहली बार सीधे जिलाध्यक्षों से संवाद कर रहे हैं ताकि पार्टी की ग्राउंड रिपोर्ट सीधे हाईकमान तक पहुंचे। इस बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी मौजूद रहेंगे, जिससे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का संदेश स्पष्ट हो सके।
राहुल गांधी की योजना संगठन में पावर डिस्ट्रीब्यूशन को बैलेंस करने की भी है, ताकि जिलास्तर पर नेताओं को ज्यादा ताकत मिले, लेकिन हाईकमान की पकड़ भी बनी रहे। इससे गुटबाजी पर रोक लग सकती है, लेकिन प्रदेश के बड़े नेताओं की भूमिका कमजोर भी हो सकती है।
बूथ से लेकर जिले की रिपोर्ट तैयार
दिल्ली रवाना होने से पहले रायपुर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष उधोराम वर्मा ने बताया कि जिले में बूथ से लेकर सेक्टर, जोन कमेटी और ब्लॉक अध्यक्षों की सूची तैयार की गई है, साथ ही यहां की संपत्तियों से संबंधित जानकारी भी AICC से मंगाई गई है। उन्होंने कहा कि वे अब तक हुए सभी कार्यक्रमों की रिपोर्ट देंगे, जिसमें धरना-प्रदर्शन और बैठकों का विवरण भी शामिल होगा।
महासचिवों की बैठक और आपत्ति
जिलाध्यक्षों से संवाद से पहले दिल्ली में कांग्रेस महासचिवों की बैठक हुई थी। इस बैठक में दो महासचिवों ने आपत्ति जताई कि अगर जिलाध्यक्षों को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठकों में शामिल किया गया, तो इससे प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता की ताकत कम हो जाएगी।
लेकिन राहुल गांधी ने इस आपत्ति को खारिज करते हुए साफ कहा, “अगर जिलाध्यक्ष थोड़ा ताकतवर हो जाएगा, तो इसमें कोई दिक्कत नहीं है।” इससे यह स्पष्ट है कि वे संगठन में नीचे तक नेतृत्व को मजबूत करने और हाईकमान की सीधी पकड़ बनाए रखने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
ग्राउंड लेवल पर कंट्रोल बनाने की कवायद
राहुल गांधी का जिलाध्यक्षों से सीधा संवाद, प्रदेश नेतृत्व की भूमिका को प्रभावित कर सकता है। अब तक जिलाध्यक्षों की रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष के जरिए हाईकमान तक पहुंचती थी, लेकिन इस बैठक के बाद राहुल गांधी सीधे जिलाध्यक्षों से फीडबैक लेंगे, जिससे प्रदेश नेतृत्व और मुख्यमंत्री की भूमिका पर असर पड़ सकता है।
संगठन में पावर डिस्ट्रीब्यूशन बैलेंस
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, “यह वर्ष हमारा संगठन को मजबूत करने का वर्ष है। एक साल के भीतर हम बूथ लेवल तक संगठन को मजबूत करेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि बैठक में संगठन में पावर डिस्ट्रीब्यूशन को बैलेंस करने पर चर्चा हो रही है। राहुल गांधी जिलाध्यक्षों से सीधे संवाद कर रहे हैं और जमीनी स्तर पर कांग्रेस की स्थिति को समझने की कोशिश कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में क्यों बदले गए 11 जिलाध्यक्ष?
इस बदलाव से पहले छत्तीसगढ़ में 11 जिलाध्यक्ष बदले जा चुके हैं। पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज का कहना है कि जहां पार्टी कमजोर प्रदर्शन कर रही है, वहां यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी। हालांकि रायपुर और बिलासपुर को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है।
सूत्रों का कहना है कि जिलाध्यक्षों के चयन में बड़े नेताओं की पसंद को ध्यान में रखा गया है ताकि गुटबाजी को रोका जा सके।
क्या कांग्रेस में फिर लौट रहा है हाईकमान कल्चर?
राहुल गांधी की यह बैठक सिर्फ संगठनात्मक सुधार नहीं, बल्कि कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति का नया समीकरण भी तय कर सकती है। हाईकमान का सीधा दखल बढ़ने से क्या प्रदेश नेतृत्व की ताकत कम होगी? क्या कांग्रेस में एक बार फिर हाईकमान कल्चर लौटेगा?
इस बैठक से पार्टी के भीतर चल रही गुटबाजी को रोकने में कितनी मदद मिलेगी, यह देखना दिलचस्प होगा। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ संगठन मजबूत करने की रणनीति है या कांग्रेस की पुरानी सत्ता संरचना को फिर से स्थापित करने की कोशिश?