छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: हाईकोर्ट ने आरोपी अनवर ढेबर की याचिका खारिज की, 2000 करोड़ के घोटाले में ED और ACB की कार्रवाई को दी वैधता

रायपुर | 29 जुलाई 2025
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में आरोपी अनवर ढेबर को एक बार फिर झटका लगा है। हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें FIR रद्द करने और गिरफ्तारी को अवैधानिक ठहराने की मांग की गई थी।
यह याचिका राज्य सरकार की ओर से प्रस्तुत तथ्यों और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) तथा आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की कार्रवाई के समर्थन में दिए गए तर्कों के बाद खारिज कर दी गई।
क्या है मामला?
ED के अनुसार, छत्तीसगढ़ में 2000 करोड़ रुपए से अधिक के शराब घोटाले को एक संगठित सिंडिकेट के जरिए अंजाम दिया गया। यह सिंडिकेट तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में बनाया गया था, जिसमें तत्कालीन IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के MD एपी त्रिपाठी, और व्यापारी अनवर ढेबर की अहम भूमिका थी।
सरकारी शराब दुकानों से डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर अवैध शराब बेची गई, जिससे राज्य सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ।
FIR और गिरफ्तारी को चुनौती
अनवर ढेबर ने याचिका दायर कर ACB द्वारा दर्ज की गई FIR और अपनी गिरफ्तारी को अवैधानिक बताते हुए रद्द करने की मांग की थी। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 21 और 22 का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि:
- 4 अप्रैल को उन्हें बिना सूचना के हिरासत में लिया गया।
- परिवार को जानकारी नहीं दी गई।
- गिरफ्तारी का पंचनामा और केस डायरी की कॉपी नहीं दी गई।
- पुलिस रिमांड पर भेजे जाने की प्रक्रिया भी सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के खिलाफ थी।
राज्य सरकार का पक्ष
राज्य शासन की ओर से कोर्ट में बताया गया कि:
- शराब दुकानों से डुप्लीकेट होलोग्राम के जरिये अवैध शराब बेची गई।
- इस प्रक्रिया में अनवर ढेबर की मुख्य भूमिका सामने आई है।
- इस अपराध से राज्य को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है, जो एक गंभीर आपराधिक मामला बनाता है।
- आरोपी की दो जमानत याचिकाएं पहले ही खारिज की जा चुकी हैं।
हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अनवर ढेबर की याचिका को खारिज कर दिया।
शराब घोटाले का पूरा नेटवर्क: कब और कैसे बना सिंडिकेट
- फरवरी 2019 में रायपुर की होटल वेनिंगटन में अनवर ढेबर ने प्रदेश के 3 डिस्टलरी मालिकों की मीटिंग बुलाई।
- मीटिंग में शामिल थे – नवीन केडिया (छत्तीसगढ़ डिस्टलरी), भूपेंदर पाल सिंह भाटिया और प्रिंस भाटिया (भाटिया वाइंस), राजेंद्र उर्फ चुन्नू जायसवाल (वेलकम डिस्टलरी), हीरालाल जायसवाल, संजय फतेहपुरिया आदि।
- बैठक में तय हुआ कि डिस्टलरी से सप्लाई होने वाली शराब पर प्रति पेटी कमीशन दिया जाएगा।
- बदले में डिस्टलरी संचालकों को रेट बढ़ाने का आश्वासन मिला।
- पूरा घोटाला तीन हिस्सों (A, B, C पार्ट) में बांटकर प्रबंधन किया गया।
ED की बड़ी कार्रवाई
- ईडी ने इस मामले में अपनी जांच रिपोर्ट के आधार पर ACB में FIR दर्ज कराई।
- जांच में पाया गया कि अनवर ढेबर को 90 करोड़ से ज्यादा की अवैध कमाई हुई।
- पूरे नेटवर्क में राजनीतिक, प्रशासनिक और कारोबारी गठजोड़ सामने आए हैं।
अब आगे क्या?
अनवर ढेबर सहित कई अन्य आरोपियों के खिलाफ जांच जारी है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) और राज्य की जांच एजेंसियां मिलकर इस राजस्व घोटाले के हर पहलू की जांच कर रही हैं। साथ ही संपत्ति अटैच करने की कार्यवाही भी संभावित है।
यह मामला छत्तीसगढ़ की राजनीति, प्रशासन और कारोबारी गठजोड़ में फैले भ्रष्टाचार की गंभीर तस्वीर पेश करता है।