छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अगर पति अपनी वयस्क पत्नी के साथ उसकी सहमति के बिना यौन संबंध या अप्राकृतिक यौन क्रिया करता है, तो उसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (दुष्कर्म) या धारा 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) के तहत अपराध नहीं माना जा सकता है।
यह फैसला एक ऐसे मामले से जुड़ा है, जिसमें एक व्यक्ति की पत्नी की अप्राकृतिक यौन संबंध के बाद अस्पताल में मृत्यु हो गई थी। डॉक्टरों ने कहा कि उसे पेरिटोनिटिस और मलाशय में छेद की बीमारी हो गई थी। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को अप्राकृतिक यौन संबंध और गैर-इरादतन हत्या के आरोप में दोषी ठहराया था, लेकिन उच्च न्यायालय ने राहत दी।
भारत में वैवाहिक बलात्कार कानून के तहत दंडनीय नहीं है, और अब इस फैसले में अप्राकृतिक यौन संबंध को भी सजा के दायरे से बाहर कर दिया गया है।
यह मामला 2017 का है, जब आरोपी को गिरफ्तार किया गया था। उसकी पत्नी ने मृत्यु से पहले मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान में आरोप लगाया था कि उसके पति ने जबरन अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए, जिसके कारण वह बीमार हो गई।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 2013 में आईपीसी की धारा 375 (बलात्कार की परिभाषा) में किए गए संशोधन के अनुसार, अगर पत्नी की आयु 15 वर्ष से अधिक हो, तो पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ किया गया यौन संबंध बलात्कार नहीं माना जाएगा। इसलिए, पत्नी की सहमति के बिना किए गए अप्राकृतिक यौन संबंध को भी अपराध नहीं माना जा सकता।
कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि पत्नी की आयु 15 वर्ष से अधिक है, तो किसी भी यौन कृत्य को बलात्कार नहीं कहा जा सकता है और इस कारण से अप्राकृतिक कृत्य के लिए पत्नी की सहमति की अनुपस्थिति का कोई महत्व नहीं है। अतः आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 और 377 के तहत कोई अपराध नहीं बनाया जा सकता।