रायपुर – स्वास्थ्य विभाग में खून जांचने वाली मशीनों की खरीदी में बड़ा घोटाला सामने आया है। लगभग 130 करोड़ रुपये की लागत से खरीदी गई इन मशीनों में से आधी तो चालू ही नहीं हो पाई, और जो मशीनें चल रही थीं, वे 12 जनवरी को एक साथ बंद हो गईं। इन मशीनों की खरीदी के दौरान, जिस समय 350 करोड़ रुपये से ज्यादा के रीएजेंट बिना जरूरत के खरीदी जा रहे थे, उसी दौरान अफसरों ने मोक्षित कंपनी से 2300 अलग-अलग प्रकार की मशीनें खरीदीं और इन्हें राज्य के अस्पतालों और हेल्थ सेंटरों में सप्लाई करवा दिया।
यह खुलासा हुआ है कि मोक्षित कंपनी ने सभी मशीनों में टाइमिंग सेट करके उन्हें बंद करवा दिया, ताकि मशीनों के उपयोग के लिए जरूरी रीएजेंट्स उसी कंपनी से खरीदे जाएं। मोक्षित कंपनी के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा की गिरफ्तारी के बाद जांच में यह सामने आया कि स्वास्थ्य विभाग और सीजीएमएससी ने कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए इस घोटाले को अंजाम दिया था।
वहीं, 2022-23 में खून जांचने वाली करीब आधा दर्जन से ज्यादा मशीनों की खरीदी का टेंडर जारी किया गया, जिसमें मोक्षित कंपनी को सप्लाई का ठेका मिला। इस ठेके के तहत 130 करोड़ की 23 हजार से ज्यादा मशीनें राज्य के सरकारी अस्पतालों और हेल्थ सेंटरों में भेजी गईं, जिनमें से कई हेल्थ सेंटरों में न तो लैब हैं और न ही तकनीशियन की नियुक्ति। इसके बावजूद इन मशीनों को वहां भेजा गया, ताकि उन्हें कागजों पर दिखाकर भुगतान किया जा सके।
विधानसभा चुनाव के पहले, 2023 में 91 करोड़ की मशीनों की एकमुश्त खरीदी गई और इन्हें ऐसे हेल्थ सेंटरों में भेजा गया, जहां जांच की व्यवस्था तो दूर, लैब तक नहीं थी। इन मशीनों को खपाने के लिए भेजा गया था ताकि कंपनी को भुगतान किया जा सके।
स्वास्थ्य विभाग की डायरेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला ने राज्य के सभी हेल्थ सेंटरों के डॉक्टरों और तकनीशियनों से बैठक कर जानकारी ली, जिसमें यह सामने आया कि सीबीसी मशीनें सप्लाई की गईं, लेकिन वहां तकनीशियनों और स्टाफ की कमी थी।
जांच दल ने राजधानी से करीब 32 किलोमीटर दूर स्थित अभनपुर के मानिकचौरी हेल्थ सेंटर का दौरा किया। यहां खून जांचने वाली मशीन का परीक्षण किया गया, तो मशीन में एरर आ रहा था और तकनीशियन की कमी थी। स्टाफ के मुताबिक, यह मशीन 12 जनवरी को बंद हो गई थी और अब चालू नहीं हो रही है।
स्वास्थ्य विभाग ने इन मशीनों को ऐसे केंद्रों में भेजा, जहां न तो लैब हैं, न ही तकनीशियन की व्यवस्था है। इन घोटालों के बावजूद सीजीएमएससी ने भुगतान कर दिया।