छत्तीसगढ़ के CGMSC घोटाले में बड़ा खुलासा हुआ है, जिसमें पांच अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है। EOW (आर्थिक अपराध शाखा) ने इन अधिकारियों को शुक्रवार को पूछताछ के लिए बुलाया और फिर देर शाम उन्हें गिरफ्तार कर लिया। अब इन अधिकारियों को रायपुर के स्पेशल कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां रिमांड की मांग की जाएगी।
गिरफ्तार किए गए अधिकारियों में CGMSC के महाप्रबंधक तकनीशियन बसंत कुमार कौशिक, जीएम तकनीशियन कमलकांत पाटनवार, बायोमेडिकल इंजीनियर दीपक कुमार बंधे, छिरोद रौतिया, और स्वास्थ्य विभाग के स्टोर इंचार्ज डॉ. अनिल परसाई शामिल हैं।
CGMSC घोटाले का राज कैसे खुला?
CGMSC घोटाले में अधिकारियों और कारोबारियों ने मिलकर सरकार को 411 करोड़ रुपए का कर्जदार बना दिया था। मात्र 27 दिनों में 750 करोड़ रुपए की खरीदारी कर ली गई, जिसमें आईएएस, आईएफएस समेत कई अफसरों की मिलीभगत का पर्दाफाश हुआ। इस घोटाले में मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा भी EOW की रिमांड पर हैं।
कैसे हुआ घोटाला?
CGMSC के अधिकारियों और कारोबारियों ने महंगे दवाइयों और उपकरणों की खरीदारी की, जिनकी वास्तविक कीमत काफी कम थी। उदाहरण के लिए, 8 रुपए में मिलने वाला EDTA ट्यूब 2,352 रुपए में खरीदी गई, और 5 लाख रुपए की CBS मशीन को 17 लाख रुपए में खरीदी गई। इसके अलावा, 300 करोड़ रुपए के रीएजेंट्स भी खरीदे गए, जो वास्तविक रूप से आवश्यक नहीं थे।
घोटाले के पर्दे के पीछे क्या था?
घोटाले का खुलासा तब हुआ जब पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने दिसंबर 2024 में दिल्ली में पीएमओ, केंद्रीय गृहमंत्री कार्यालय, CBI और ED मुख्यालय में CGMSC में हुए घोटाले की शिकायत की थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने EOW को जांच के निर्देश दिए, और इसके बाद 5 अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई।
EOW की कार्रवाई
EOW ने 27 जनवरी को रायपुर और दुर्ग में मोक्षित कॉर्पोरेशन के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसके साथ ही हरियाणा के पंचकुला में भी छापे मारे गए थे, जहां शशांक के रिश्तेदारों और उनके दफ्तरों से महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए थे।
अभी भी EOW की जांच जारी है, और आगामी दिनों में कुछ और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। अधिकारियों के मुताबिक, जांच में नए तथ्य सामने आने की संभावना है, और विभागीय अधिकारियों से पूछताछ की जा रही है।
CGMSC घोटाले में हो रही ये जांच अब बड़े पैमाने पर एक नई दिशा में बढ़ रही है, जिसमें कई और अधिकारियों और कारोबारियों की भूमिका सामने आ सकती है।