रायपुर: छत्तीसगढ़ में हाल ही हुए नगरीय निकाय चुनावों में कांग्रेस को चौथी बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। सभी 10 नगर निगमों में बीजेपी की जीत के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष देखने को मिल रहा है। चुनाव परिणामों के बाद टिकट वितरण और पार्टी नेतृत्व को लेकर सोशल मीडिया पर कार्यकर्ताओं का गुस्सा खुलकर सामने आ रहा है।
कई कार्यकर्ताओं ने पार्टी के नेताओं पर इस्तीफे की मांग की है, वहीं कुछ ने टिकट वितरण में पैसे के लेनदेन और गुटबाजी के आरोप लगाए हैं। इसके अलावा, पार्टी के सीनियर नेताओं पर हार की जिम्मेदारी लेने का दबाव भी बढ़ता जा रहा है।
यूथ कांग्रेस के नेता राहुल कर की टिप्पणी: यूथ कांग्रेस के नेता राहुल कर ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है, “भाजपा की सबसे बड़ी ताकत है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ. संघ से आप लाख असहमतियां रखिए, लेकिन उसकी खूबी को भी पहचानिए और सीखिए। संघ का संगठन और जनसंपर्क भाजपा की जीत का मुख्य कारण है।”
कांग्रेस कार्यकर्ताओं का आरोप: कांग्रेस कार्यकर्ता कल्पना सागर ने लगातार पोस्ट किए, जिसमें उन्होंने लिखा, “महापौर नेता की पत्नी, वार्ड नेता की पत्नी और सभापति बनने की महत्वकांक्षा के साथ रायपुर निकाय चुनाव लड़ा गया, परिणाम सभी के सामने हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि “जो पार्टी महिला कार्यकर्ताओं को सशक्त नहीं बनाती, वह पार्टी विलुप्त हो जाती है।”
रायपुर शहर अध्यक्ष से इस्तीफे की मांग: कांग्रेस कार्यकर्ता अमिताभ राजा घोष ने अपनी पोस्ट में रायपुर शहर अध्यक्ष से इस्तीफे की मांग की है। उन्होंने लिखा, “हार की जिम्मेदारी लेते हुए शहर अध्यक्ष को नैतिकता के नाते इस्तीफा दे देना चाहिए।”
भूपेश बघेल का बयान: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस पर प्रतिक्रिया दी और कहा, “सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देना अलग बात है, लेकिन पार्टी के फैसलों और मुद्दों पर चर्चा के लिए सही मंच पार्टी फोरम है। हार हुई है, और मैं अपनी बात संगठन के भीतर रखूंगा।”
बीजेपी की टिप्पणी: उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कांग्रेस की हार पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “अब जनता कांग्रेस नेताओं की अंदरूनी लड़ाई का मजा ले रही है। पार्टी में मची हलचल से साफ है कि कांग्रेस अपनी हार के लिए खुद जिम्मेदार है।”
कांग्रेस को मिल सकता है नेतृत्व परिवर्तन: नगरीय निकाय चुनावों में मिली हार के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं में असंतोष गहरा गया है। सोशल मीडिया पर विरोध के बाद पार्टी को इस असंतोष को शांत करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। आने वाले दिनों में समीक्षा बैठक और नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं तेज हो सकती हैं।