दिवाली पर्व समृद्धि और स्वदेशी भावना के साथ व्यापार में नई रोशनी लाएगा – कैट

इस वर्ष बाजारों में होगा अब तक का सबसे बड़ा व्यापार
देश के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वाइस चेयरमैन एवं राष्ट्रीय व्यापारी कल्याण बोर्ड (भारत सरकार) के सदस्य श्री अमर पारवानी, प्रदेश चेयरमेन श्री मगेलाल मालू, प्रदेश चेयरमेन श्री विक्रम सिंहदेव, प्रदेश एक्जीक्यूटिव चेयरमेन श्री जितेन्द्र दोशी, प्रदेश अध्यक्ष श्री परमानंद जैन, प्रदेश महामंत्री श्री सुरेन्द्र सिंह एवं प्रदेश कोषाध्यक्ष श्री अजय अग्रवाल ने बताया कि जैसे-जैसे देश दीपों का पर्व मनाने की तैयारी कर रहा है, पूरे भारत के बाजारों में खुशियाँ, उत्साह और उमंग का माहौल लौट आया है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) के अनुसार इस वर्ष दिवाली त्यौहार की बिक्री छत्तीसगढ़ में लगभग 12500 करोड़ रुपए से 14000 करोड़ रुपए तक का व्यापार होने की संभावना है। 4.75 लाख करोड़ रुपये के अभूतपूर्व स्तर को पार करने जा रही है, जो पिछले एक दशक का सबसे मजबूत त्यौहारी सीजन होगा।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वाइस चेयरमैन एवं राष्ट्रीय व्यापारी कल्याण बोर्ड (भारत सरकार) के सदस्य श्री अमर पारवानी ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा जीएसटी दरों में की गई कमी और “स्वदेशी” व “वोकल फॉर लोकल” का आह्वान देश के व्यापारी समुदाय के लिए एक गेम चेंजर साबित हुआ है। उन्होंने कहा, “यह दिवाली केवल घरों को नहीं, बल्कि देश के लाखों व्यापारियों, निर्माताओं, कारीगरों और सेवा क्षेत्र से जुड़े लोगों के जीवन को भी रोशन करेगी।”
श्री पारवानी ने कहा कि स्वदेशी की भावना से बाजार जगमगाए हुए हैं । देश के कोने-कोने में फैले पारंपरिक बाजारों से लेकर आधुनिक मॉल तक हर जगह जबरदस्त भीड़ और उपभोक्ताओं का उत्साह देखने को मिल रहा है। इस वर्ष का त्यौहार भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था की वास्तविक ताकत को दर्शा रहा है, जहाँ हर वर्ग के लोग अपनी क्षमता के अनुसार खरीदारी कर रहे हैं।
श्री पारवानी ने कहा कि जहां एक ओर करोड़ों परिवार दिवाली पर ₹500 या उससे कम की खरीदारी कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर लाखों उपभोक्ता हजारों और लाखों रुपये खर्च कर रहे हैं। यही विविधता दिवाली सीजन को देश के रिटेल कारोबार के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय बनाती है।
श्री पारवानी के अनुसार इस वर्ष दिवाली का कुल व्यापार लगभग ₹4.75 लाख करोड़ रुपये का रहेगा, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में खर्च का अनुमान इस प्रकार है —13% – खाद्य सामग्री और किराना, 3% – फल और ड्राई फ्रूट,4% – मिठाई और नमकीन, 12% – वस्त्र और परिधान, 4% – इलेक्ट्रिकल सामान, 8% – इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, 3% – बिल्डर्स हार्डवेयर, 3% – होम डेकोर, 6% – कॉस्मेटिक्स और पर्सनल केयर,3% – बर्तन और किचनवेयर,3% – पूजा सामग्री, 2% – कन्फेक्शनरी और बेकरी उत्पाद, 4% – फर्निशिंग और फर्नीचर, 8% – गिफ्ट आइटम् तथा 24% – विविध वस्तुएँ और सेवाएँ जिनमें ऑटोमोबाइल, खिलौने, पैकेजिंग, स्टेशनरी, ट्रैवल आदि शामिल हैं।
श्री पारवानी ने कहा की बाजारों में स्वदेशी उत्पादों की बढ़ी मांग है जिसमें आत्मनिर्भर भारत की झलक दिखाई देती है। देशभर के व्यापारियों ने बताया है कि इस बार उपभोक्ता विदेशी वस्तुओं की बजाय स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं। इससे न केवल स्थानीय उद्योगों को बल मिल रहा है बल्कि यह प्रवृत्ति माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विज़न को सशक्त बना रही है।
श्री पारवानी ने कहा की दिवाली के उत्सवों का प्रभाव केवल व्यापार तक सीमित नहीं है। देशभर में हो रहे हजारों कार्यक्रमों, समारोहों और आयोजनों के कारण होटल, रेस्टोरेंट, बैंक्वेट हॉल, कैटरिंग, इवेंट मैनेजमेंट, टैक्सी सेवाएं, डेकोरेटर, संगीतकार और कलाकारों को भी बड़े पैमाने पर काम और कारोबार मिल रहा है। “दिवाली केवल दीप जलाने का पर्व नहीं, बल्कि भारत की पूरी आर्थिक व्यवस्था को ऊर्जा देने का पर्व है।”
श्री पारवानी ने कहा की दिवाली व्यापार , परंपरा और विश्वास का त्यौहार है । दिवाली सिर्फ रोशनी का नहीं, बल्कि विश्वास, परंपरा और व्यापार का त्यौहार है। उन्होंने व्यापारियों से आह्वान किया कि वे स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा दें और ग्राहकों को गुणवत्ता व प्रामाणिकता के साथ उत्पाद उपलब्ध कराएँ।
“इस दिवाली भारत में खर्च किया गया हर रुपया किसी भारतीय उद्यम को सशक्त करेगा,” श्री पारवानी ने कहा।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह त्यौहार देश की घरेलू खुदरा अर्थव्यवस्था के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ साबित होगा।