‘चिड़िया’ की उड़ान: छोटे सपनों की बड़ी कहानी, 10 साल बाद थिएटर्स में”

30 मई को फिल्म ‘चिड़िया’ सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। यह फिल्म मुंबई की एक तंग चॉल की पृष्ठभूमि में बुनी गई एक दिल छू लेने वाली कहानी है, जिसमें दो भाइयों का सपना है – बैडमिंटन खेलना।

फिल्म में स्वर कांबले, आयुष पाठक, विनय पाठक, अमृता सुभाष, इनामुलहक, बृजेन्द्र काला और हेतल गड़ा जैसे प्रतिभाशाली कलाकार नजर आते हैं। निर्देशन मेहरान अमरोही ने किया है, जो फिल्म के हर फ्रेम को रियल और इमोशनल बनाने में सफल रहे हैं।

क्या है ‘चिड़िया’ की कहानी?

कहानी शानू और बुआ नाम के दो बच्चों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो मुंबई की एक चॉल में अपनी मां वैष्णवी के साथ रहते हैं। उनके पिता का निधन हो चुका है और अब मां अकेले ही घर संभाल रही है। बच्चे पढ़ाई की उम्र में मजदूरी कर रहे हैं।

एक दिन दोनों भाई एक फिल्म स्टूडियो में काम ढूंढने जाते हैं, जहां उन्हें एक पुराना बैडमिंटन रैकेट दिखता है। यहीं से दोनों की जिंदगी में एक सपना जन्म लेता है — “जाली वाला खेल” खेलने का सपना।

रैकेट, कोर्ट और ट्रेनिंग की कोई व्यवस्था नहीं, लेकिन हौसले बुलंद। दोनों भाई और उनके दोस्त एक कबाड़खाने को बैडमिंटन कोर्ट में बदल देते हैं, और वहीं से शुरू होता है उनका संघर्ष और उम्मीदों भरा सफर।

10 साल इंतज़ार के बाद आई फिल्म

फिल्म 2015 में पूरी शूट हो चुकी थी, लेकिन डिस्ट्रीब्यूशन की चुनौतियों के कारण यह लगभग 10 साल तक रिलीज़ नहीं हो सकी।

मुंबई के बाहरी इलाकों, पुणे की चॉलों और एफटीआईआई में फिल्माई गई इस कहानी में असली लोकेशन्स और नेचुरल लाइटिंग का इस्तेमाल हुआ है। यह फिल्म सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि मेहनत, जिद और समय से लड़ती एक “चिड़िया” की उड़ान है।

विनय पाठक का खास जुड़ाव किरदार से

विनय पाठक ने फिल्म में ‘बाली’ नाम का किरदार निभाया है। शूटिंग के दौरान उन्होंने एक खास फैसला लिया — अपने लिए बनाए गए डिजाइनर कपड़ों की जगह स्पॉट बॉय के कपड़े पहनना।

उनका कहना था, “ये कपड़े ज्यादा रियल लगते थे और किरदार की भावनाओं से गहराई से जुड़ने में मदद करते थे।”

अगर आप इंस्पिरेशन, इमोशन और सच्चाई से भरी कहानियों के शौकीन हैं, तो ‘चिड़िया’ ज़रूर देखें — यह फिल्म उड़ान की नहीं, उड़ने की हिम्मत की कहानी है।