मोहम्मद रफी की गायकी में धर्म की सीमाएं नहीं थीं, सोनू निगम ने किया बड़ा खुलासा
सोनू निगम ने गोवा में आयोजित 55वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के दौरान दिवंगत गायक मोहम्मद रफी को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर ‘आसमान से आया फरिश्ता – ए ट्रिब्यूट टू मोहम्मद रफी- किंग ऑफ मेलॉडी’ नामक एक सत्र आयोजित किया गया, जिसमें रफी साहब को सम्मानित किया गया। इस सेशन में सोनू निगम ने रफी की गायकी की सराहना करते हुए कहा, “मोहम्मद रफी नमाजी मुसलमान थे, लेकिन जब वे भजन गाते थे, तो ऐसा लगता था जैसे कोई हिंदू गा रहा हो। मुझे समझ नहीं आता कि गायकी में वह कैसे धर्म से परे जा कर यह सब कर लेते थे।”

सोनू निगम ने आगे कहा कि रफी की आवाज में हर पीढ़ी के अभिनेता की व्यक्तित्व को बखूबी उतारने की क्षमता थी। वह ‘हम काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं’ जैसे गाने भी गाते थे, और ‘सर जो तेरा चकराए’ जैसे गाने भी उतने ही प्रभावी तरीके से। उनका संगीत सभी प्रकार के भावनाओं को व्यक्त करने में सक्षम था, चाहे वह खुशी का हो या दुख का। सोनू ने रफी की गायकी को लेकर यह भी कहा, “वह किसी भी गाने को गाते थे, चाहे वह भजन हो, सूफी गीत हो या बर्थडे सॉन्ग, रफी ने कभी कोई सीमा नहीं मानी। वह एक असाधारण कलाकार थे जो गायकी के हर क्षेत्र में माहिर थे।”
सोनू ने यह भी कहा कि रफी की गायकी में एक अद्भुत क्षमता थी, जो हर भाव और प्रत्येक गाने को जीवंत कर देती थी। रफी के बारे में सोनू ने यह भी साझा किया कि वह एक ऐसे कलाकार थे, जो माइक के सामने अपनी पूरी ऊर्जा और जोश के साथ प्रस्तुत होते थे।
